
शिवसेना से बगावत करके अपने पाले में कई विधायकों को लेकर भाजपा के साथ महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे ने सरकार बनाई। इस सरकार में देवेन्द्र फणनवीस उपमुख्यमंत्री बने। अब एकनाथ शिंदे के सामने एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है। सरकार बने तीन महीने ही बीते हैं, लेकिन उन्हें अपने साथ आए विधायकों की नाराजगी से गुजरना पड़ रहा है।

यही कारण है कि महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट का दूसरा विस्तार भी नहीं हो पाया है। दरअसल शिवसेना से बागी ज्यादातर विधायक एकनाथ शिंदे सरकार में खुद को मंत्री देखना चाहते हैं और यही मुश्किल की वजह है। फिलहाल असली शिवसेना और नकली शिवसेना का विवाद भी चल रहा है,अभी इस पर फैसला आना बाकी है क्योंकि ये मामला सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग के समक्ष लंबित है। ऐसे में चर्चा है कि कुछ ऐसे विधायक भी हैं, जो मंत्री न बन पाने की स्थिति में शिंदे सरकार से अलग हो सकते हैं, और ऐसे में उद्धव ठाकरे गुट के साथ जा सकते हैं। ऐसा होता है तो एकनाथ शिंदे के लिए यह बड़ी मुश्किल होगी।
4 विधायक भी टूटे तो होगा सियासी संकट
यदि बागी विधायकों में कुछ विधायक जाते हैं तो फिर एकनाथ शिंदे गुट के सामने दलबदल कानून का खतरा बन जाएगा। एकनाथ शिंदे ने जब शिवसेना से बगावत करके सरकार बनाई थी तो उन्हें 40 विधायकों का समर्थन मिला था। शिवसेना के कुल 54 विधायक हैं। ऐसे में उन्हें कम से कम 37 विधायक विवाद हल होने तक अपने साथ रहना जरूरी है ताकि दलबदल कानून से बच सकें। इसलिए यदि बागी विधायकों में से 4 भी अलग हुए तो संख्या 36 ही रह जाएगी और दलबदल कानून का खतरा पैदा हो जाएगा। यही एकनाथ शिंदे की मुश्किल है, जिसके चलते वह विधायकों को राजी करने का प्रयास कर रहे हैं। बता दें कि पहले कैबिनेट विस्तार में एकनाथ शिंदे गुट के 40 में से 9 विधायक ही मंत्री बने हैं। ऐसे में बाकी लोगों के बीच असंतोष है कि उन्हें शिवसेना से बगावत करने पर आखिर क्या मिला है। अब देखना दिलचस्प होगा कि मौजूदा शिंदे सरकार इस मामले को लेकर क्या रणनीती बनाती है।