देखें सियासत की बदलती हवा में नेताओं ने कैसे तय किया अपना वजूद…
अभिनव त्रिपाठी
राजनैतिक क्षेत्र में एक नेता को अपना वजूद कायम रख पाना बहुत ही मुश्किल काम होता है। वजूद यानी की ‘अपना और अपनी पार्टी का’ हम बढ़ते दिन के साथ देखते जा रहे हैं कि नेता खुद का राजनैतिक जीवन बनाए रखने के लिए एक पार्टी से दूसरी पार्टी का चक्कर लगा रहे है। नेतागण अगर लहर बीजेपी की रहती है तो उसका दामन थाम लेते है अगर कांग्रेस, सपा और बसपा की रहती है तो इन पार्टियों की तरफ नजदीकी बनाने लगते है। इन हालातों को देखते हुए कहा जा सकता है कि ऐसा करना नेताओं की राजनीति का एक हिस्सा हो गया है।
क्या रही है इसकी वजह
कुछ दिन पहले तक जो नेता अपनी विपक्षी पार्टी को जमकर घेरता था वो अचानक से उसी पार्टी का हिस्सा बनकर उसकी खूबियों को गिनाने लगता है। तब उसकी नजर में जिस पार्टी से आया था वही पार्टी बुरी हो जाती है अगली पार्टी का दामन थामते ही उसमें खूबियाँ और जो छोड़कर आया उसमें खामियाँ नजर आने लगती है। ऐसा नेता क्यों करते है इसकी कोई खास वजह नहीं मिल पाई है। पर राजनीतिज्ञों की माने तो यह सब इस लिए होता ताकि उनका वर्चस्व और पद बरकार रहे सरकार किसी की भी हो उनकी अहमियत न घटे। अब हम आपको बताते हैं कुछ ऐसे नेता जो हाल में ही अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी का दामन थामा है।
अदिति सिंह
अदिति सिंह रायबरेली सदर सीट से वर्तमान विधायक है। ये 2017 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी थी और जनता ने इन्हे विधायक भी बनाया। आपको बता दें कि इस सीट से पहले इनके पिता अखिलेश सिंह चुनाव लड़ते थे और कई बर विधायक भी चुने गए उनका घर गांधी परिवार का दूसरा घर हुआ करता था। पर उनके निधन के बाद से परिस्थितियाँ बदल गई और उनकी बेटी यानी की अदिति सिंह ने भाजपा का दामन थाम लिया। पहले अदिति सिंह कांग्रेस की खूबियाँ गिनाने से नहीं थकती थी वो अब कांग्रेस की बुराइयाँ गिनाते नहीं रुकती है। अब वह रायबरेली सदर से बीजेपी के टिकट पर प्रत्याशी भी है।
स्वामी प्रसाद मौर्य
स्वामी प्रसाद मौर्य यूपी की सियायत का एक प्रमुख चेहरा रहा है। इन्होंने 2016 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की उसके बाद जब 2017 में भाजपा की सरकार बनी तो इन्हे मंत्री भी बना दिया गया था। पर अभी कुछ दिन पहले मौर्य ने भाजपा पर यह आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया कि यह पार्टी पिछड़ों की कद्र करना नहीं जानती है। इसके बाद ये बीते 14 जनवरी को सपा में शामिल हो गए। इसके अलावा स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा सरकार में भी मंत्री रह चुके है।
राकेश पाण्डेय
राकेश पाण्डेय का लगाव काफी समय से बसपा से था। ये साल 2009 में बसपा के टिकट पर अम्बेडकरनगर से सांसद चुने गए थे इसके अलावा जलालपुर विधानसभा सीट से विधायक भी चुने जा चुके है। 69 वर्षीय राकेश हाल में ही बसपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए है और आने वाले विधानसभा चुनाव में वो सपा के टिकट पर जलालपुर विधानसभा से चुनाव भी लड़ सकते है। अगर अम्बेडकर नगर की बात करें तो इस जिले में पाण्डेय परिवार का काफी दबदबा रहा है राकेश पाण्डेय के बेटे रितेश पाण्डेय यहाँ के वर्तमान विधायक है । इसके अलावा इनके भाई पवन पाण्डेय अकबरपुर से विधायक रह चुके है।