आज का सुविचार: आचार्य चाणक्य के अनुसार ये 3 चीजें हैं सच्चे रत्न, इनके बिना जीवन दूभर

आचार्य चाणक्य एक कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में जाने जाते हैं। उन्‍होंने नीति शास्त्र में अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर जहां जीवन की हर परिस्थिति का सामना करना और सुख दुख में विचलित न होने के लिए कई महत्‍वपूर्ण बातें बताई हैं। आचार्य चाणक्य की नीतियां भले ही कई लोगों को सही न लगे लेकिन उनके द्वारा बताई गई कई बातें जीवन में किसी न किसी तरीके से सच्चाई जरूरी दिखाती हैं।

भागदौड़ भरी जिदंगी में उनके कई विचार हम जरूर अनदेखा कर दें लेकिन अगर उन्हें ध्यान रखें जाए तो जरूर आपको हर कसौटी में खरे उतारेंगे। आचार्य चाणक्य मौर्य साम्राज्य के संस्थापक के साथ-साथ चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में भी जानें जाते है। आचार्य चाणक्य ने हमारे जीवन संबंधी कई नीतियां बताई है। ऐसे ही आचार्य चाणक्य ने ज्ञान को लेकर एक नीति बताई है, जिसमें उन्होंने बताया है कि मनुष्य के जीवन में सबसे बहुमूल्य रत्न क्या है।

पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि अन्नमापः सुभाषितम् ।

मूढैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते ॥

अनाज, पानी और सबके साथ मधुर बोलना – ये तीन चीजें ही पृथ्वी के सच्चे रत्न हैं । हीरे जवाहरात आदि पत्थर के टुकड़े ही तो हैं । इन्हें रत्न कहना केवल मूर्खता है।

आचार्य चाणक्य ने अपने इस श्लोक में कहा है कि एक मनुष्य के लिए हीरे, मोती, सोना सभी चीजें मात्र पत्थर के समान है। लेकिन प्रथ्वी में मौजूद अन्न, जल और मधुर वाणी सबसे बड़े रत्न है। अगर मनुष्य अपना और अपने परिवार का जीवन चाहता है तो उसकी भूख अन्न से, प्यास पानी से मिटती है और सभी को अपना बनाने का काम वाणी ही कर सकती है। इसलिए इन चीजों की हमेशा कद्र करनी चाहिए। लेकिन आज के समय में लोग हीरा, सोना, चांदी के पीछे भागते हैं लेकिन इसके द्वारा आप अपने जीवन का निर्वाहन नहीं कर सकते हैं। इससे न ही आप अपनी भूख मिठा सकते हैं और न ही प्यास बुझा सकते हैं।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर व्यक्ति मधुर वाणी से हर किसी से बात करेगा तो वह सबका चाहेता हो जाएगा। उसे समाज में सम्मान मिलेगा। वह अपनी वाणी से शत्रु को भी मित्र बना सकता है। इसलिए इंसान को पत्थरों को पीछे भागकर अपनी जीवन नष्ट नहीं करना चाहिए।

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