कैट ने मल्टीनेशनल कंपनियों पर लगाया आरोप, कहा- FDI के नियमों का हो रहा उल्लंघन

दिलीप कुमार

देश भर के कई सेक्टर में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) का इन दिनों खूब बढ़ रहा है, ख़ासकर बीमा क्षेत्र में ज्यादा निवेश हो रहा है। ये बढ़त पिछले एक दो वर्ष से अधिक देखने को मिल रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले चार महीने में भारत ने कुल 27.37 बिलियन अमेरिकी डॉलर ( करीब 2.05 लाख करोड़ ) का विदेशी निवेश प्राप्त किया था। इससे एक अनुमान लगाया जा सकता है कि देश में कई सेक्टर हैं जिनमें एफडीआई बैन है, उसके बावजूद भी एफडीआई में ढ़ेरों इजाफा देखने को मिल रहा है।

देश में अंधाधुध एफडीआई तो आ रहा है लेकिन कई नियमों को ताक पर रख कर। PTI के एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक व्यापारियों के प्रमुख संगठन कानफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट ) ने दावा किया है कि कुछ बहुराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने का प्रयास कर रही हैं। कैट ने ऐसी हर उन कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की हैं।

कैट ने मंगलवार को ई-कॉमर्स नीति पर एक स्वेत पत्र जारी करते हुए कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों के पास भारी पूंजी है। कैट ने विदेशी कंपनियों का भांडाफोड़ते हुए कहा कि इन कंपनियों ने विक्रेताओं के साथ मार्केट प्लेस पर अपने संबंधों को इस तरह बनाया है कि वे अपने मंच पर विक्रेताओं या भंडार ( इन्वेंट्री ) पर नियंत्रण करने के स्थिति पर हैं और बड़े चालाकी से प्रवर्तन कंपनियों के जांच से भी बच निकलती हैं।

व्यापारियों का समूह कैट ने बताया कि विक्रेताओं पर इस तरह के नियंत्रण या स्वामित्व की आड़ में यह मुद्दा केवल एफडीआई नीति के उल्लंघन का नहीं है, बल्कि प्रतिस्पर्धा-विरोधी आचरण का भी है।

कैट ने एफडीआई नियमों का व्याख्या करते हुए बताया कि सरकारी नीति के तहत एकल-ब्रांड खुदा कारोबार में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है, जबकि मल्टी-ब्रांड खुदरा कारोबार में मंजूरी मार्ग से 51 फिसदी तक एफडीआई की अनुमति है। इसमें भी सूक्ष्म,लघु और मझोले उद्यमों तथा छोटे व्यापिरियों के कारोबार की रक्षा के लिए कई शर्तें शामिल हैं।

भंडार आधारित ई-कॉमर्स कारोबार कुछ और नहीं बल्कि इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से संचालित बहुब्रांड खुदरा स्टोर है और एफडीआई नीति के तहत ई-कॉमर्स के इश तरह के मॉडल में एफडीआई की अनुमति नहीं है।

वहीं प्रद्योगिकी के प्रसार और इसके जरिये एमएसएमई और किराना की मदद करने को ई-कॉमर्स मार्केट प्लेस स्थापित करे के लिए स्वत: मंजूर मार्ग से 100 फीसदी की अनुमति दी गई है। इसके साथ एक शर्त भी जोड़ी गई है कि इस तरह के प्रद्यौगिकी मंच का संचालन करने वाली कोई भी संस्था मंच पर किसी भी विक्रेता के भंडार या इन्वेंट्री का स्वामित्व या नियंत्रण नहीं करेगी क्योंकि यह मल्टी ब्रांड खुदरा व्यापार के संचालन के समान होगा।

कैट ने कहा कि ये शर्तें कठोर होने के साथ स्पष्ट हैं लेकिन उसके बावजूद भी कुछ मल्टीनेशन कंपनियां जिनके पास ज्यादा फंड है , वो एफडीआई के शर्तों का उल्लंघन करने का प्रयास कर रही हैं।

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