Breaking News: संसद में बोले रक्षा मंत्री, कहा- चीन के साथ हुआ पैंगोग झील से सेना हटाने का समझौता

भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख की सीमा को लेकर बीते साल से तनातनी जारी है। इसी बीच चीन ने इस मामले में नरमी दिखाते हुए कहा था कि वह वास्तविक नियंत्रण रेखा से अपने सैनिकों को पीछे हटा लेगा। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या अब भारत और चीन के बीच सब कुछ पहले की तरह समान्य हो जाएगा? कहीं यह ड्रैगन की किसी चाल का हिस्सा तो नहीं? इस तरह के तमाम प्रश्नों का आज यानी गुरुवार को संसद में भारत के रक्षा मंत्री ने जवाब दिया। बता दें कि राजनाथ सिंह ने बीते दिन अपने ट्वीट के माध्यम बताया था कि वह एलएसी पर मौजूदा स्थितियों की जानकारी खुद सदन में देंगे।

सदन में इस जानकारी को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया साझा-

• मैं सदन को यह भी बताना चाहता हूं कि भारत ने चीन को हमेशा यह कहा है कि Bilateral relation दोनों पक्षों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं, साथ-साथ ही सीमा के प्रश्न को भी बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है।

• LAC पर Peace and Tranquility में किसी प्रकार की प्रतिकूल स्थिति का हमारी Bilateral Ties पर बुरा असर पड़ता है ।कई High level joint statement में भी यह जिक्र किया गया है कि LAC तथा सीमाओं पर Peace and Tranquility कायम रखना Bilateral Relation के लिए अत्यंत आवश्यक है।

• पिछले वर्ष मैंने इस सदन को अवगत कराया था कि LAC के आस-पास Eastern Ladakh में कई friction areas बन गए हैं। हमारे सशस्त्र सेनाओं द्वारा भी भारत की सुरक्षा की दृष्टि से adequate तथा Effective counter deployment किए गए हैं।

• मुझे यह बताते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि भारतीय सेनाओं ने इन सभी चुनौतियों का डट कर सामना किया है तथा अपने शौर्य एवं बहादुरी का परिचय Pangong Tso के south एवं north bank पर दिया है।

• भारतीय सेनाऍं अत्यंत बहादुरी से लद्दाख की ऊंची दुर्गम पहाडि़यों तथा कई मीटर बर्फ के बीच में भी सीमाओं की रक्षा करते हुए अडिग हैं और इसी कारण हमारा Edge बना हुआ है।

• हमारी सेनाओं ने इस बार भी यह साबित करके दिखाया है कि भारत की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करने में वे सदैव हर चुनौती से लड़ने के लिए तत्पर हैं और अनवरत कर रहे हैं।

• Friction क्षेत्रों में disengagement के लिए भारत का यह मत है कि 2020 की forward deployments जो एक-दूसरे के बहुत नजदीक हैं वे दूर हो जाएं और दोनों सेनाएं वापस अपनी-अपनी स्थाई एवं मान्य चौकियों पर लौट जाएं।

• मैं आश्वस्त हूँ कि यह पूरा सदन, चाहे कोई किसी भी दल का क्यों न हो, देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रश्न पर एक साथ खड़ा है और एक स्वर से समर्थन करता है कि यही सन्देश केवल भारत की सीमा तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे जगत को जायेगा: रक्षा मंत्री श्री

बातचीत के लिए हमारी Strategy तथा Approach माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के इस दिशा निर्देश पर आधारित है कि हम अपनी एक इंच जमीन भी किसी और को नहीं लेने देंगे। हमारे दृढ़ संकल्प का ही यह फल है कि हम समझौते की स्थिति पर पहुंच गए हैं।

• न दिशा निर्देशों के दृष्टिगत सितम्बर, 2020 से लगातार Military and Diplomatic स्तर पर दोनों पक्षों में कई बार बातचीत हुई है कि इस Disengagement का Mutually Acceptable तरीका निकाला जाए। अभी तक Senior Commanders के स्तर पर 9 rounds की बातचीत हो चुकी है।

• मुझे सदन को यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे इस approach तथा sustained talks के फलस्वरूप चीन के साथ Pangong Lake के North एवं South Bank पर disengagement का समझौता हो गया है।

• Pangong lake area में चीन के साथ disengagement का जो समझौता हुआ है उसके अनुसार दोनों पक्ष forward deployment को phased, coordinated and verified manner में हटाएंगे।

• मैं इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस बातचीत में हमने कुछ भी खोया नहीं है । सदन को यह जानकारी भी देना चाहता हूं कि अभी भी LAC पर deployment तथा Patrolling के बारे में कुछ outstanding  Issues बचे  हैं । इन पर हमारा ध्यान आगे की बातचीत में रहेगा।

• दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि Bilateral Agreements तथाProtocol  के तहत पूर्ण disengagement जल्द से जल्द कर लिया जाए।चीन भी देश की सम्प्रभुता की रक्षा के हमारे संकल्प से अवगत है। यह अपेक्षा है कि चीन द्वारा हमारे साथ मिलकर बचे हुए मुद्दों को हल करने का प्रयास किया जाएगा।

• मैं इस सदन से आग्रह करना चाहता हूं कि मेरे साथ संपूर्ण सदन हमारी Armed Forces की इन विषम एवं भीषण बर्फबारी की परिस्थितियों में भी शौर्य एवं वीरता के प्रदर्शन की भूरि-भूरि प्रशंसा करे।

• मैं यह कहना चाहता हूँ कि जिन शहीदों के शौर्य एवं पराक्रम की नींव पर यह disengagement आधारित है, उसे देश सदैव याद रखेगा।

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