वो भाजपाई ‘हीरा’ जिसने त्रिपुरा में ‘माणिक’ को ठिकाने लगा दिया

नई दिल्ली: त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में 25 साल बाद भाजपा ने लेफ्ट का दुर्ग ढहा दिया है. भाजपा ने पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार एकदम उलट प्रदर्शन किया है. अगर बात पिछले चुनाव की करें तो भाजपा ने एक भी सीट नहीं जीती थी लेकिन इस बार भाजपा स्पष्ट बहुमत की और बढ़ रही है.

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव

भाजपा का ये जबरदस्त प्रदर्शन विपक्षी दलों के गले नहीं उतर रहा है. वहीँ, देश की जनता भी इस सोच में पड़ी है कि आखिर ये कारनामा हुआ कैसे?

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव का ‘हीरा’ मिल गया

दरअसल, नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी के बढ़ते प्रभाव के पीछे एक ऐसे व्यक्ति का हाथ है जो खुद न तो कभी यहां से चुनाव लड़ा और न ही मीडिया में आया. फिर भी विरोधी दलों के पसीने छुड़ा दिए.

सुनील देवधर नाम के इस शख्स ने नॉर्थ ईस्ट में भाजपा की नैया पार लगाई है. वाम सरकार को चुनौती देने का काम भी सुनील देवधर के खाते में ही जाता है.

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वैसे तो देवधर मराठी हैं लेकिन फर्राटेदार बंगाली भी बोलते हैं. वे लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे हैं. उन्हें बीजेपी ने नॉर्थ ईस्ट की जिम्मेदारी दी थी. यहां रहते हुए उन्होंने स्थानीय भाषाएं सीख लीं.

जब वो मेघालय, त्रिपुरा, नगालैंड में खासी और गारो जैसी जनजाति के लोगों से मिलते हैं तो उनसे उन्हीं की भाषा में बात करते हैं.

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देवधर के पास पहले वाराणसी समेत उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी थी. यहां चुनावों में बीजेपी के अच्छे प्रदर्शन के बाद उन्हें नॉर्थ ईस्ट की जिम्मेदारी मिली.

और तो और त्रिपुरा में वाम दलों, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस में सेंध मारने का काम भी उन्होंने ही किया है. ‘मोदी लाओ’ की जगह ‘सीपीएम हटाओ’, ‘माणिक हटाओ’ जैसे नारे भी उन्हीं की देन हैं.

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