Birthday Special: मधुबाला की जिंदगी के बहन ने किए कई खुलासे, इसके आलाव कोई खुशी नहीं थी

ये बहुत कम लोगों के साथ होता है कि ज़िंदगी से उन्हें वक़्त भले ही कम मिला हो लेकिन उनके हुनर और कामयाबी की दास्तां इतनी लंबी होती है कि तकदीर की लकीर ही बेमानी हो जाए। हुस्न और अदाकारी की वो छाप जिसे मधुबाला कहते हैं आज ही के दिन पैदा हुई थीं।

Know About Actress Madhubala

हालांकि मधुबाला को याद किया जाता है सिल्वर स्क्रीन की देवी के तौर पर लेकिन बीबीसी से विशेष बातचीत में उनकी सबसे छोटी बहन मधुर भूषण ने कहा कि मधु आपा को ज़िंदगी से कुछ नहीं मिला, ना प्यार मिला और ना जिससे शादी की वो ही मिला। मधुर के शब्दों में ”अल्लाह ने जो एक सबसे बड़ी चीज़ उन्हें नहीं दी वो थी ख़ुशी।”

मधुबाला की बहन मधुर भूषण बताती हैं कि फ़िल्मों में आना मधुबाला का चुनाव नहीं था। मधुर भूषण ने बहुत ही साफ़ शब्दों में कहा, ”9 साल की वो मोहब्बत बहुत ख़ूबसूरत थी, उनकी शादी भी होने वाली थी लेकिन वो मोहब्बत बिखर गई। वो रिश्ता टूट गया और आज तक समझ नहीं आया कि आख़िर ख़ता किसकी थी। अब वो गुज़र चुकी हैं तो इस पर बात करना भी सही नहीं लगता।

लेकिन थोड़ी देर बात करने पर मधुर बताती हैं, ”एक फ़िल्म के सिलसिले में हमारे पिता (जो मधु आपा का काम-काज संभालते थे) की दिलीप साहब से अनबन हो गई थी। मामला कोर्ट में पहुंचा। हालांकि बाद में सहमति बन गई थी और विवाद ख़त्म कर लिया गया।

आपा ने दिलीप साहब से कहा कि आप माफ़ी मांग लीजिए लेकिन दिलीप साहब ने मना कर दिया। आपा ने कहा अकेले में बोल दीजिए, गले लगा लीजिए। यूसुफ़ भाई जान नहीं माने और वहां ये रिश्ता ख़त्म हो गया।” मधुबाला की ख़ूबसूरती का असर ज़्यादा था या अदाकारी का ये भी अपने आप में एक चर्चा का विषय हो सकता है लेकिन फ़िल्मों में आना उनका चुनाव नहीं था।

देहरादून एयरपोर्ट पर उतरा PM मोदी का विमान, ख़राब मौसम ने रोक दिया आगे का रास्ता…
मधुर भूषण ने बताया, ”मधु आपा सात साल की उम्र से गाना सीखती थी। बहुत शौक़ था सजने संवरने का लेकिन फ़िल्मों में काम तब शुरू किया जब घर में ग़रीबी आई। जब हमारे अब्बा की नौकरी छूट गई तो लोगों ने कहा आपकी बच्ची ख़ूबसूरत है इसे बॉम्बे ले जाए कुछ छोटे मोटे रोल मिल जाएंगे।” मधुर कहती हैं कि उनके पिता को सारे ख़ानदान के ख़िलाफ़ जाकर क़दम उठाना पड़ा और वो मुंबई चले आए।

मधुर याद करती हैं, ”यहां उस समय बॉम्बे टॉकीज़ का स्टूडियो था। मुमताज़ शांति हिरोइन हुआ करती थीं। चंदू लाल शांति के यहां ले गए और बोले कि इसे देख लीजिए। मुमताज़ की छोटी सी बेटी का रोल मिला जिसमें मधु आपा ने गाना भी गाया था। वहां से इतनी तारीफ़ मिली कि बहुत सारी फ़िल्में मिलने लगीं।

बाद में फिर ‘नीलकमल’ मिली, फिर ‘महल’ मिली।
मधुर भूषण कहती हैं कि उनके पिता के बारे में बहुत कुछ कहा जाता है जबकि सच कुछ और है। मधुर सवालिया अंदाज़ में कहती हैं, ”आप ही बताइए कि सात साल की बच्ची अपने आप क्या कर पाती जब तक बहुत मज़बूत आधार ना हो। पिता ने ही उन्हें सही रास्ते पर लगाया। हमेशा साथ दिया। हमसे पूछिए हमारे वालिद क्या थे हमारे लिए।”

LIVE TV