बिहार सरकार ने शराब बंदी को लेकर उठाए और कड़े कदम, 365 निषेध कांस्टेबलों की निकाली भर्ती

दिलीप कुमार

बिहार में वर्ष 2016 से कानूनी तौर पर शराब के बिक्री पर रोक लगी है। उसके बावजूद भी बिहार में शराब व्यापारी और पीने वालों का मामला बराबर सामने आता रहता है। बिहार में अवैध रूस से शराब की तस्करी और व्यापार पर लगाम लगाने के लिए नितीश कुमार ने एक अहम फैसला लिया है।

नितीश कुमार ने विधान सभा में यह जानकारी देते हुए बताया कि शराब बंदी कानून को प्रभावी बनाने के लिए 365 निषेध कांस्टेबलों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की है।

नीतीश सरकार के मंत्री सुनिल कुमार ने विधान सभा में लिखित रूप में जानकारी देते हुए कहा कि सरकार ने पहले ही राज्य के सभी जिलों में शराब राधी कार्यबल की 186 टीम गठित की है। अब इस टीम की सहायता के लिए 265 निषेध कांस्टेबलों की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
सीएम नीतीश कुमार के अध्यक्षता में मंत्रीमंडल के बैठक में शराबबंदी कानून संशोधन के लिए मद्य निषेध व उत्पाद संशोधन अधिनियम 2022 के प्रारूप की स्वकृति दी गई है। इस स्विकृति के बाद अब इस प्रारूप को विधानमंडल के दोनो सदनों में पेश किया गया है।

आपको बता दें कि 1 अप्रेल 2016 को बिहार सराकार ने 4 हाजार करोड़ का प्रत्यक्ष घाटा सहते शराब बंदी कानून लागू किया था। इस बंदी को लेकर सरकार का मानना था कि ये कदम समाज में शराब से बढ़ते दुष्प्रभाव को रोकने में मददगार शाबित होगा। 2016 के सरकारी आंकड़े के मुताबिक बिहार में हर साल 1410 लाख लीटर शराब पी जाते थे। इनमें 990.36 लाख लीटर देशी शराब और 420 लाख लीटर विदेशी शराब शराब शामिल है। बिहार में उस समय कुल 6000 शराब की सरकारी दुकानें थी।

एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दशक के दौरान शराब से मिलने वाले पैसे में दस गुना बढ़ोतरी हुई थी। 2005-06 में सरकार को शराब से कुल 295 करोड़ की आमदनी हुई थी, जो 2014 में बढ़कर 3 हजार करोड़ से ज्यादा हो गई थी। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए नीतीश कुमार ने शरब बैन किया था।

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