
बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट बंटवारे को लेकर हलचल तेज हो गई है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी को 40 से कम सीटें मंजूर नहीं हैं। भाजपा और जदयू की ओर से 25-28 सीटों की पेशकश की जा रही है, लेकिन चिराग की जिद से बात नहीं बन पा रही।
मंगलवार को बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने चिराग से दिल्ली में मुलाकात की, लेकिन कोई सहमति नहीं बनी। चिराग ने कहा, “बातचीत चल रही है, फाइनल होने पर सूचना देंगे।” सियासी गलियारों में अटकलें हैं कि 2-3 दिनों में फॉर्मूला तय हो जाएगा।
चिराग ने सोशल मीडिया पर अपने पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को याद करते हुए एक भावुक पोस्ट शेयर किया, जो वायरल हो गया। उन्होंने लिखा, “पापा हमेशा कहते थे – जुर्म करो मत, जुर्म सहो मत। जीना है तो मरना सीखो। कदम-कदम पर लड़ना सीखो।” इससे सियासी हलकों में संदेश साफ लग रहा है कि चिराग आसानी से झुकने वाले नहीं। इससे पहले चिराग ने पिता की पुण्यतिथि पर पोस्ट किया, “आपके विजन ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध हूं। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के कारवां को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं।” उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव पार्टी कार्यकर्ताओं के सपनों को पूरा करने का अवसर है।
एनडीए में चिराग-मांझी की जिद, 80% बात फाइनल लेकिन छोटे दलों पर अटकी
एनडीए में सीट बंटवारे का 80 फीसदी काम हो चुका है। भाजपा और जदयू प्रत्येक 100 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार हैं। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) को 8-10 सीटें और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) को 5-7 सीटें देने का फॉर्मूला लगभग तय है। लेकिन चिराग की LJP(RV) को 25-26 सीटें देने की पेशकश पर वे राजी नहीं।
चिराग 45-54 सीटों की मांग कर रहे हैं, खासकर उन 5 लोकसभा क्षेत्रों में जहां उनकी पार्टी ने 2024 में जीत हासिल की, वहां कम से कम 2-2 विधानसभा सीटें चाहते हैं।
मांझी ने भी कहा कि राज्य स्तर की पार्टी बनने के लिए 8 विधायक जरूरी हैं। उनके पास पहले से 4 हैं, इसलिए 10-12 सीटें मांग रहे हैं। जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने दावा किया, “एनडीए में कोई मतभेद नहीं। जल्द ऐलान होगा।” लेकिन सूत्र बताते हैं कि भाजपा चिराग को 20-25 सीटें ही देना चाहती है। मंगलवार की बैठक में धर्मेंद्र प्रधान, विनोद तावड़े और मंगल पांडेय ने चिराग को समझाने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। एक और बैठक जल्द हो सकती है।
चिराग का फैसला: चुनाव प्रबंधन समिति गठित, प्राशांत किशोर से नजदीकी?
चिराग ने मंगलवार को बड़ा कदम उठाते हुए अरुण भारती को चुनाव प्रभारी और राजू तिवारी को सह-प्रभारी नियुक्त किया। इससे लगता है कि वे किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं। कुछ रिपोर्ट्स में अटकलें हैं कि यदि NDA से बात न बनी, तो चिराग प्राशांत किशोर की जन सुराज पार्टी से गठबंधन कर सकते हैं। लेकिन चिराग ने NDA के साथ रहने का संकेत दिया है।
राजनीतिक निहितार्थ: चिराग का दबाव NDA की एकजुटता पर परीक्षा
चिराग की जिद NDA की एकजुटता को परख रही है। 2020 में LJP ने NDA छोड़ दिया था, जिससे जदयू को नुकसान हुआ। अब चिराग 2024 लोकसभा में 5 सीटें जीतकर मजबूत हुए हैं। यदि सीटें कम मिलीं, तो वे स्वतंत्र लड़ सकते हैं, जो NDA के लिए नुकसानदेह होगा। विपक्षी महागठबंधन में भी सीट बंटवारे पर विवाद है। तेजस्वी यादव और कांग्रेस के बीच असमंजस है।
चिराग ने कहा, “बिहार में लोकतंत्र का महापर्व शुरू हो रहा है। हर बिहारी के सपनों को साकार करने का अवसर है।” उनके पोस्ट से लगता है कि वे पिता के ‘बिहार फर्स्ट’ विजन पर जोर देंगे। सियासी जानकारों का कहना है कि चिराग की रणनीति से NDA को मजबूत करना होगा, वरना महागठबंधन को फायदा हो सकता है।