बिहार : सोनपुर पशु मेले में अब तक सिर्फ 3 हाथी पहुंचे

सोनपुर पशु मेलेहाजीपुर। बिहार में ‘मोक्षदायिनी’ गंगा और ‘नारायणी’ गंडक के संगम के समीप लगने वाला सोनपुर मेला ऐसे तो विश्व प्रसिद्ध ‘पशु मेले’ के रूप में विख्यात है, परंतु सरकारी नियमों और कानूनों के कारण इस बार पशु व्यापारी निराश नजर आ रहे हैं। हाथी और घोड़ों के लिए प्रसिद्ध एक महीने तक चलने वाले इस मेले में अब तक मात्र तीन हाथी पहुंच सके हैं।

आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले वर्ष इस मेले में 13 हाथी आए थे, परंतु इस साल मात्र तीन हाथी अब तक पहुंच सके हैं। दीगर बात है कि पिछले वर्ष घोड़ों का व्यापार ठीक होने के कारण इस साल घोड़ों की संख्या में वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष यहां 4,020 घोड़े आए थे, जबकि इस साल मेला प्रारंभ होने के साथ ही 5,400 से ज्यादा घोड़े यहां पहुंच गए। वर्ष 2015 में यहां 4,580 घोड़े इस मेले की शान बढ़ा रहे थे।

सरकारी आंकड़ों को देखें तो आज से 13 साल पहले वर्ष 2004 में इस मेले में 354 हाथी, 15,035 घोड़े और एक लाख से अधिक बैल पहुंचे थे। कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर इस साल हाथी स्नान कार्यक्रम का भी आयोजन नहीं हुआ, जिस कारण लोग निराश दिखे।

इस साल तीन दिसंबर तक चलने वाले इस मेले का उद्घाटन राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने दो नवंबर को किया था। हाजीपुर के वरिष्ठ पत्रकार विकास आनंद ने से कहा, “बिहार के सारण और वैशाली जिले की सीमा में लगने वाले इस मेले की पहचान मुख्य रूप से पशु मेले के रूप में होती है।

परंतु समय के साथ और पशुओं से संबंधित विभिन्न कानूनों के कारण पशुओं का व्यापार कम होता चला गया। यही कारण है कि पशु व्यापारी अब यहां नहीं पहुंच पा रहे हैं।” उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि कुछ साल पहले तक यहां पशुओं का व्यापार 15 से 17 करोड़ रुपये तक का होता था, परंतु आज यह सिमटकर दो से तीन करोड़ रुपये तक ही रह गया है।

इतिहास के पन्नों को देखें तो यह प्रमाण मिलता है कि मुगल सम्राट अकबर के प्रधान सेनापति महाराजा मान सिंह ने सोनपुर मेले में आकर शाही सेना के लिए हाथी एवं अस्त्र-शस्त्र की खरीदारी की थी। एक जमाने में यह मेला जंगी हाथियों का सबसे बड़ा केंद्र था। मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य, मुगल सम्राट अकबर और 1857 के गदर के नायक वीर कुंवर सिंह ने भी यहां से हाथियों की खरीदारी की थी।

इधर, इस साल पटना उच्च न्यायालय के फैसले के बाद मेले की रौनक माना जाने वाला ‘चिड़िया बाजार’ भी बंद है। पटना उच्च न्यायालय ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत चिड़ियों की खरीद-बिक्री पर रोक लगाने के आदेश सरकार सरकार को दिए हैं।

सारण के जिलाधिकारी हरिहर प्रसाद ने इस संबंध में बहुत ज्यादा तो कुछ नहीं कहा। उन्होंने हालांकि नियमों और कानूनों का हवाला देकर इतना जरूर कहा, “इस साल हाथी की भी कोई प्रतियोगिता नहीं होगी और न ही पशु क्रूरता नियम का उल्लंघन होगा। ‘चिड़िया बाजार’ को भी बंद कर दिया गया है।”

बहरहाल, ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक महत्व वाले हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले में अब सिर्फ परंपरा का निर्वाह किया जा रहा है और यह मेला ‘पशु मेले’ की जगह मात्र मनोरंजक मेला बनकर रह गया है।

दमिश्क : सीरिया में आत्मघाती हमले में दर्जनभर की मौत, विस्फोट डेर-अल-जौर में कोनोको गैस क्षेत्र और जाफरी ऊर्जा संयंत्रों के बीच हुए

त्रिपोली: लीबिया में बारूदी सुरंग विस्फोट में 8 मरे, अस्पताल की ओर से जारी बयान के हवाले से ये आंकड़ें हैं साबरी और सिटी सेंटर के

LIVE TV