इस औषधि से उगेंगे गंजो के सिर पर बाल, पेट की चर्बी होगी गायब

आज हम आपको एक ऐसी औषधि के बारे में बताने जा रहें हैं. जिससे महिलाओं और पुरूषों दोनों को ही इसका फायदा मिलेगा। पूरे भारत में पायी जाने वाली ये वर्षायु लता है. जो समुद्र के किनारे या बालू मिटटी में उगती है। यह दिखने में तरबूज की बेल की तरह ही होती है। आइये जानते हैं इसके फायदे।

इन्द्रायण

दरअसल, इसके पत्ते थोड़े छोटे होते हैं। जो 2 से 3 इंच लम्बे एवं 2 इंच चौड़े होते है। इसके पुष्प पीले रंग के होते है. फल कच्चे रहने तक हरे और पकने पर पीले रंग के हो जाते है जो 1 से 4 इंच व्यास के गोल होते है।

इन्द्रायण के प्रकार

इन्द्रायण मुख्य रूप से 3 प्रकार की होती है. पहली छोटी इन्द्रायण, दूसरी बड़ी इन्द्रायण और तीसरी लाल इन्द्रायण होती है। इन्द्रायण एक लता होती है जो पूरे मरू भूमी या बलुई क्षेत्रों में पायी जाती है, भारत में यह खेतों में उगाई जाती है। इसके फलों को काटने पर इसके बीच में गुदा निकलता है जो बहुत ही कडवा होता है।

यह स्वाद में कड़वा तथा हल्का रूखा, तीक्ष्ण और गर्म होता है। इसका मुख्य प्रभाव पाचन-संस्थान पर भेदक (दस्त लानेवाला) और विरेचक (पर्गेटिव) रूप में पड़ता है। यह केशवर्धक, रक्तशोधक, शोथहर, कफनि:सारक, प्रमेहहर, व्रणशोधक तथा कटु-पौष्टिक है।

अगर आपको खांसी कई दिनों से है और ठीक नहीं रही है, तो इन्द्रायण के पक्के फल में 10 – 15 कालीमिर्च भर दे और धुप में रख दे। रोज एक कालीमिर्च-पिप्पली और शहद के साथ मिलाकर सेवन करें।

इन्द्रायण के ताजे हरे फलो से रस निकालकर शरीर में जहाँ-जहाँ त्वचा की रंगत बिगड़ गई हो, वहां-वहां कुछ दिन नियमित रूप से लगाते रहने से वह स्वाभाविक रंग में आ जाएगी।इन्द्रायण का तेल नारियल के तेल में बराबर की मात्रा में मिलाकर नियमित लगाए लाभ होगा। इससे कुछ ही दिनों में बाल काले होना शुरू हो जायेंगे।

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