मिर्गी का दौरा पड़ने की असल वजह है ये, इन बातों का रखें ध्यान

नई दिल्ली। मिर्गी एक तंत्रिकातंत्रीय विकार (न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर) है, जिसमें रोगी को बार-बार दौरे पड़ते है। यह बीमारी 10 वर्ष से 60 वर्ष उम्र तक के किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। जानकारी के अभाव में 75 से 80 फीसदी लोग इलाज से वंचित रह जाते हैं। दूषित जल और खान-पान से भी मिर्गी का खतरा बढ़ जाता है। यह जानकारी केजीएमयू न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ. आर.के.गर्ग ने दी।

छह माह के बच्चों को आ सकता है दौरा: केजीएमयू के बाल रोग विभाग के डॉ. सिद्धार्थ कुंवर ने बताया कि छह माह से पांच वर्ष की उम्र के बच्चों में बुखार के साथ दौरे पड़ सकते हैं। यदि दौरे में अकड़न पूरे शरीर में होती है और यह 15 मिनट से कम है तो यह सिम्पल फेब्राइल सीजर है। यदि यह आधे घंटे से ज्यादा रहती है तो इसको कॉम्प्लेक्स फेब्राइल सीजर कहा जाता है। इसके इलाज में दवाओं का लंबे समय तक प्रयोग नहीं किया जाता है।

हो सकती है मानसिक समस्या-

मनोचिकित्सा विभाग के डॉ. आदर्श त्रिपाठी ने बताया कि तीन में से एक मिर्गी के मरीज में इससे मानसिक समस्या भी पैदा हो सकती है। इसमें मानसिक अवसाद और घबराहट आम बात है। मानसिक अवसाद 30 से 35 फीसदी मरीजों में पाया जाता है।

यह है कारण-

मिर्गी मस्तिष्क को प्रभावित करने वाले कई कारणों से होती है। ये कभी-कभी अनुवांशिक या अधिगृहित या दोनों हो सकते हैं। 60-75 प्रतिशत मिर्गी मामलों में कारण अज्ञात होता है। शेष 25-40 प्रतिशत लोगों में जन्म के समय चोट या आक्सीजन की कमी हो सकती है।

इन बातों का रखें ध्यान-

दौरा पड़ने पर पानी न पिलाएं।

दवा आदि भी न दें।

रोगी को करवट के बल लिटा दें।

साफ-सफाई रखें।

सब्जियां अच्छी पानी में धुलकर ही पकाएं।

LIVE TV