अपर्णा यादव से लेकर इमरान मसूद तक की सीट पर है संशय , आखिर कहाँ से लड़ेंगे चुनाव ?

अभिनव त्रिपाठी

यूपी में चुनावी मौसम आ चुका है ऐसे में नेताओं के बीच में भगदड़ मची हुई है हर दिन कोई न कोई नेता एक पार्टी छोड़ कर दूसरी पार्टी का दामन थामते हुए देखा जाता जा रहा है। इन नेताओं का अपनी पार्टी छोड़कर किसी दूसरी पार्टी में जाना नया नहीं है चुनाव आते ही ये सिलसिला शुरू हो जाता है। ये ठीक उसी तरह है जैसे एक कर्मचारी अपना भविष्य बेहतर बनाने के लिए एक कंपनी छोड़कर दूसरी कंपनी में काम करने चला जाता है। ऐसा करने से कभी-कभी फँसने का भी डर बना रहता है क्योंकि नेता पार्टी का भरोसा नहीं कायम कर पाते है। पार्टी बदलने के बाद उन्हें लगता है की वो अपनी मनचाही सीट से चुनाव लड़ेंगे लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। इन नेताओं के सीट और टिकट को लेकर संशय लगातार बरकार है।

यूपी में अपर्णा यादव और इमरान मसूद तो उत्तराखंड में हरक सिंह रावत ऐसे हालात में बिल्कुल फिट बैठते है। जो अपनी पार्टी छोड़ कर दूसरी पार्टी का दामन तो थाम लिए पर अभी तक टिकट के लिए कोई भी आश्वासन नहीं मिला है। कई और नेता भी टिकट के उलटफेर में फंसे हुए है। ये है – कांग्रेस पार्टी के सुप्रिया ऐरन और हैदरअली खान जिनको कांग्रेस ने टिकट भी दिया इसके बाद भी ये नेता समाजवादी पार्टी और अपना दल में शामिल हो गए।


पंजाब की बात करें तो वहाँ भी ऐसा ही हुआ है कांदिया विधानसभा सीट से विधायक फतेह सिंह बाजवा को कांग्रेस से टिकट नहीं मिला तो वो कांग्रेस छोड़कर एनडीए में चले गए। इस सीट से कांग्रेस ने उनके भाई प्रताप सिंह बाजवा को टिकट देने का फैसला किया है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने मीडिया को बताया की अंतिम क्षण में नेताओं के पार्टी बदलने से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उसका उदाहरण सहारनपुर है इस सीट से कांग्रेस पार्टी के बड़े चेहरे इमरान मसूद को टिकट चाहिए था पर यह सीट सपा-रालोद के खेमे से बाहर है।


इमरान मसूद की बात करें तो सहारनपुर की नकुड़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन उस सीट पर भाजपा छोड़कर सपा में आए धर्म सिंह सैनी प्रत्याशी है जो की विधायक चुने जाने के बाद योगी सरकार में मंत्री भी थे। उन्हे मसूद से ऊपर रखा गया। अगर हम भाजपा की बात करें तो बताया जा रहा है की मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव को अगर विधानसभा टिकट नहीं मिलता है तो उन्हे एमएलसी का प्रत्याशी बनाया जा सकता है। जिसकी घोषणा छावनी सीट से वर्तमान विधायक ने किया है। उनका कहना है की इस सीट से फिर से उन्हे टिकट मिलेगा और अपर्णा यादव चुनाव नहीं लड़ेंगी। आपको बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में अपर्णा यादव ने सपा के टिकट पर यहाँ से चुनाव लड़ा था।


उत्तराखंड की बात करें तो हरक सिंह रावत का मामला भी काफी पेचींदा है। उन्होंने अपनी बहु अनुकृति के अलावा एक और सहयोगी के लिए टिकट मांगा था। पर भाजपा के द्वारा बनाया हुआ ‘एक परिवार-एक टिकट’के नियम को बताते हुए उन्हे टिकट नहीं दिया गया जिसके बाद नाराज रावत फिर से कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिए। कांग्रेस पार्टी में वापसी के बाद लैंड्सडाउन से अपनी बहु अनुकृति के लिए टिकट की भी बात कर चुके है।

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