हो जाइए तैयार, आ चुका है बाबा बर्फानी का बुलावा, जल्द कराएं रजिस्ट्रेशन  

अमरनाथ की यात्रा बेहद ही रोमांचकारी है. ऐसा माना जाता है कि भोले के दरबार में सब भोले की मर्जी से ही पहुंच पाते हैं. भक्तगण इस पूजनीय यात्रा को जीवन में एक बार करने की इच्छा अवश्य रखते हैं. हर साल अमरनाथ की यात्रा जून-जुलाई में प्रारम्भ होती है. अगर इस साल अमरनाथ यात्रा करना चाहते है तो बता दें, साल 2018 के लिए पंजीकरण की तारीख का ऐलान हो चुका है.

अमरनाथ की यात्रा

अमरनाथ की यात्रा धरती के स्वर्ग से कम नहीं है. अमरनाथ की खासियत पवित्र गुफा में बर्फ से नैसर्गिक शिवलिंग का बनना है. प्राकृतिक हिम से बनने के कारण ही इसे स्वयंभू ‘हिमानी शिवलिंग’ या ‘बर्फ़ानी बाबा’ भी कहा जाता है.

अमरनाथ की यात्रा 60 दिन के लिए निर्धारित है, जोकि 28 जून से लेकर 26 अगस्त तक चलेगी. साल 2018 की अमरनाथ यात्रा का पंजीकरण 1 मार्च से शुरू हो जाएगा. इस यात्रा के लिए 13 से 74 साल के लोग पंजीकरण करा सकते हैं.

बाबा बर्फानी की गुफा तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं, पहला रास्ता पहलगाम.

पहलगाम

यह रास्ता थोड़ा लंबा है लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से ठीक माना जाता है. सरकार भी इसी रास्ते से अमरनाथ जाने के लिए लोगों को प्रेरित करती है. इसी रास्ते में कई दर्शनीय स्थल अनंतनाग, चंदनवाड़ी, पिस्सु घाटी, शेषनाग, पंचतरणी आदि भी आते हैं.

पंचतरणी

पंचतरणी शेषनाग से आठ मील की दूरी पर है. पंचतरणी व शेषनाग के बीच में वेबवेल टॉप व महागुनास दर्रा है. महागुनास की चोटी तक चढ़ाई है इसके बाद उतार है. यहां पांच नदियां है, जिससे इसका नाम पंचतरणी है. यहाँ आमतौर पर ऑक्सीजन की कमी होती है.

शेषनाग

यह चंदनबाड़ी से 15 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां से पिस्सू घाटी दिखाई देती है. शेषनाग की चढ़ाई खड़ी व खतरनाक है. कहा जाता है की शेषनाग नामक झील में शेषनाग का निवास है, जो 24 घंटे में एक बार दर्शन देते हैं.

अमरनाथ की गुफा पवित्र अमरनाथ की गुफा यहां से केवल आठ किलोमीटर दूर रह जाती है. रास्ता काफी कठिन है. लेकिन पवित्र गुफा में पहुंचते ही सफर की सारी थकान पल भर में छू-मंतर हो जाती है और अद्भुत आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है.

बलटाल

दूसरा रास्ता सोनमर्ग बलटाल से होकर जाता है. यहां से जाने वाला रास्ता काफी जोखिम भरा माना जाता है. यहां से जाने वाले यात्रियों की सुरक्षा का जिम्मा खुद यात्री ही उठाते हैं.  सरकार किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी नहीं लेती. हालांकि यहां से अमरनाथ गुफा में दर्शन करके सिर्फ एक दिन में ही वापस कैंप पर लौटा जा सकता है.

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