यूपी के इस जिले से हर घर से निकलता है एक सैनिक, कई पीढ़ियों से चली आ रही है परंपरा

यूपी के गाजीपुर जिला को वीर सपूतों की धरती के नाम से पूरे देश में जाना जाता है, एक पेड़ की छाया में एक मंच पर बैठे, वृद्ध बंशीधर सिंह, एक सेवानिवृत्त सेनापति, गाजीपुर जिले के गहमर गांव के अन्य निवासियों के साथ राजनीतिक चर्चा में संलग्न हैं। शस्त्र बलों में सेवा कर रहा है। जैसे-जैसे चर्चा आगे बढ़ती है, बंशीधर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुऐ कहा कि उन्हें पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी शिविरों पर हवाई हमले के माध्यम से पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने का कड़ा फैसला लेने का श्रेय देते हैं। “सेना और अर्धसैनिक बलों को आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए दी गई खुली छूट ने सशस्त्र बलों का मनोबल बढ़ाया है,” वे कहते हैं।

लड़ाई के दौरान मंदिर में बंद हो जाती है पूजा
जनपद गाजीपुर का यह गहमर गांव उत्तर प्रदेश और बिहार के लगभग बॉर्डर पर बसा हुआ है, द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर अब तक जितने भी युद्ध हुए हैं हर युद्ध में यहां के वीर सपूतों ने अपनी सहभागिता निभाई है। यहां के लोगों की अगर बात माने तो द्वितीय विश्वयुद्ध में गहमर गांव के 222 लोगों ने इस लड़ाई में अपना योगदान दिया था और उस वक्त 21 लोग वीरगति को प्राप्त हुए थे।  यहां के लोग बताते हैं कि जब भी कोई फौजी अपनी ड्यूटी पर जाता है तो जाने से पहले कुलदेवी का आशीर्वाद लेता है और जब छुट्टी से वापस आता है तो कुलदवी का आशीर्वाद लेने के पश्चात अपने घर को जाता है। लोग यहां तक बताते हैं कि जब देश में लड़ाई शुरू हो जाती है यहां से कामाख्या मंदिर में पूजा-पाठ बंद हो जाता है क्योंकि लोगों की मान्यता है कि जब भी लड़ाई होती है तो मां मंदिर को छोड़कर जंग के मैदान में चली जाती हैं।

गहमर गांव के युवाओं में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है यहां के युवा बताते हैं कि हमारे पूर्वज जो कई पीढ़ियां पूर्व और वर्तमान में भी सेना में नौकरी की है और बहुत सारे लोग नौकरी से रिटायर होकर अपने गांव में भी हैं और इन लोगों के हौसले को देखकर हम लोगों को भी देश सेवा की भावना जागृत हो जाती है जिसको लेकर हम सभी लोग सेना में भर्ती के लिए सुबह सुबह अपनी तैयारी गंगा के किनारे बुलाकी दास की मठिया जहां पर गांव के सारे युवा इकट्ठा होकर तैयार  करते हैं ।

LIVE TV