एक साधारण टीचर की कहानी, जिस पर बीजेपी ने खेला बड़ा दांव और जीत ली सीट

(कोमल)

Kailash Kharwar bjp candidate Storie : साधारण व्यक्तित्व और राजनैतिक दांव पेचों से कोसों दूर रहने वाले कैलाश खरवार (Kailash Kharwa) को चकिया की जनता ने सिर माथे पर बिठाया. BJP प्रत्याशी। कैलाश खरवार ने समाजवादी पार्टी के जितेंद्र कुमार को हराया. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने बाजी मारी है और। प्रचंड बहुमत हासिल किया है। कैलाश खरवार का सक्रिय राजनीति से दूर-दूर तक नाता ना था । ऐसे ही पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली के चकिया सुरक्षित सीट से भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक कैलाश खरवार पेशे से सरकारी अध्यापक रहे । कैलाश खरवार ने 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को हराकर जीत हासिल की है. कैलाश खरवार मूल रूप से चकिया विधानसभा के सिकंदरपुर इलाके के उदयपुर गांव के रहने वाले हैं. बेहद साधारण व्यक्तित्व के कैलाश खरवार पिछले 40 साल से अधिक वक्त से आरएसएस से जुड़े हुए है पहले वह सरस्वती शिशु मंदिर में अध्यापक थे।उसके बाद इनकी नौकरी सरकारी विद्यालय में लग गई। जहां पर वह सहायक अध्यापक के रूप में कार्यरत थे।

जानें कैलाश खरवार का पारिवारिक बैकग्राउंड

परिवार की बात करें तो कैलाश खरवार के परिवार में पत्नी, एक बेटा और दो बेटियां हैं, जिनमें एक बेटी की शादी हो चुकी है. बताया जाता है कि कैलाश खरवार बेहद ही साधारण व्यक्तित्व के मालिक हैं. बेहद सज्जन है और हर किसी के सुख दुख में शामिल रहते हैं. किसी की भी जरूरत पड़ी तो यह साइकिल और झोला उठाकर उसकी मदद के लिए निकल पड़ते थे. पहले तो इनके पास महज एक साइकिल थी लेकिन बाद में उन्होंने स्कूटी खरीदी। आज की तारीख में इनके पास वाहन के नाम पर सिर्फ एक पुरानी स्कूटी है जिससे वह स्कूल आया जाया करते हैं. इस स्कूटी को उन्होंने सन 2016 में खरीदा था । उस वक़्त ख़रीदा था जब बढ़ती उम्र के साथ इनको साइकिल चलाने में दिक्कत होने लगी थी।

संघ के समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं कैलाश खरवार

कैलाश खरवार मूल रूप से चकिया विधान सभा के सिकंदरपुर इलाके के उदयपुर गांव के रहने वाले हैं. आपको बता दें कि भाजपा का उन पर भरोसा जताने का मुख्य कारण है RSS. बेहद साधारण व्यक्तित्व के कैलाश खरवार पिछले 40 साल से अधिक वक्त से RSS से जुड़े हुए हैं ।

रिटायरमेंट से पहले छोड़ी नौकरी

कैलाश खरवार ने रिटायरमेंट के कुछ दिन पहले नौकरी से वीआरएस ले लिया. चकिया सुरक्षित भाजपा ने अपने मौजूदा विधायक शारदा प्रसाद का टिकट काटकर कैलाश खरवार को जब प्रत्याशी बनाया तो लोगों को काफी आश्चर्य हुआ था. क्योंकि इलाके में कैलाश खरवार की पहचान कुछ और ही थी और सक्रिय राजनीति से इनका कुछ भी भी लेना देना नहीं था ।

जीत के बाद क्या कहते हैं कैलाश खरवार

कैलाश खरवार ने बताया कि उनकी पहली प्राथमिकता होगी कि जो भी केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाएं हैं वह आखिरी व्यक्ति तक पहुंचे. उन्होंने आगे बताया कि इलाके की सिंचाई व्यवस्था को दुरुस्त करना और उच्च शिक्षा की व्यवस्था करना भी उनकी पहली प्राथमिकता होगी ।

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