शहबाज शरीफ की UNGA में भारत विरोधी बयानबाजी, ऑपरेशन सिंदूर को लेकर झूठे दावे, ट्रंप को बताया ‘शांति का दूत’

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने 26 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 80वें सत्र में अपने भाषण में भारत पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि मई 2025 में हुए सैन्य टकराव में पाकिस्तानी वायुसेना ने सात भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया और उन्हें “कबाड़” बना दिया।

शरीफ ने अपने पायलटों को “बाज़” करार देते हुए उनकी तारीफ की और कहा कि पाकिस्तान ने भारत को “नाकों चने चबवा दिए।”

हालांकि, भारत ने इन दावों को पूरी तरह बेबुनियाद और सबूतों से खाली बताया है। शरीफ ने भारत के “ऑपरेशन सिंदूर” को अनुचित हमला करार दिया, जो 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे।

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हवाई और मिसाइल हमले किए। इन हमलों का उद्देश्य केवल आतंकी ढांचे को नष्ट करना था, जिसमें नागरिकों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने से बचा गया। भारत की इस कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने 10 मई को अपने डीजीएमओ के जरिए भारत से युद्धविराम की अपील की थी।

भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र में प्रथम सचिव पेटल गहलोत ने शरीफ के दावों को “हास्यास्पद नाटक” करार देते हुए खारिज किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने और उसे पनाह देने का इतिहास रखता है, जिसका उदाहरण ओसामा बिन लादेन को दशक भर तक छिपाना और आतंकी शिविरों को संचालित करना है।

गहलोत ने यह भी बताया कि 25 अप्रैल 2025 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान ने “द रेसिस्टेंस फ्रंट” जैसे आतंकी संगठन को बचाने की कोशिश की, जो पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार था।

शरीफ ने अपने भाषण में कश्मीर मुद्दे को भी उठाया और भारत पर अनुच्छेद 370 को रद्द करने, कश्मीरियों की जमीन हड़पने और बाहरी लोगों को बसाने का आरोप लगाया। उन्होंने भारत से शांति वार्ता की पेशकश की, लेकिन भारत ने इसे खोखला बताते हुए कहा कि यदि पाकिस्तान शांति चाहता है, तो उसे पहले आतंकी शिविर बंद करने और भारत में वांछित आतंकियों को सौंपने की जरूरत है।

शरीफ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तारीफ करते हुए उन्हें “शांति का दूत” बताया और दावा किया कि ट्रंप की मध्यस्थता से मई में युद्धविराम संभव हुआ। उन्होंने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने की बात भी कही। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया कि युद्धविराम दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच सीधी बातचीत का नतीजा था, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का।

शरीफ ने भारत पर सिंधु जल संधि को निलंबित करने का आरोप लगाया और इसे “युद्ध की कार्रवाई” करार देते हुए धमकी दी कि पाकिस्तान अपने लोगों के पानी के अधिकार की रक्षा करेगा। भारत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उसने हमेशा अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन किया है और पाकिस्तान की बयानबाजी केवल उसकी आंतरिक विफलताओं से ध्यान हटाने की कोशिश है।

शरीफ ने अपने भाषण में गाजा संकट और इस्लामोफोबिया जैसे मुद्दों को भी उठाया, लेकिन भारत ने इसे पाकिस्तान की दोहरी नीति का हिस्सा बताया, जो आतंकवाद को पनाह देता है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांति की बात करता है।

X पर #UNGA80 और #IndiaPakistan ट्रेंड कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “शहबाज शरीफ का यूएन में भारत विरोधी प्रचार उनकी हताशा दिखाता है।” एक अन्य यूजर ने ट्वीट किया, “पाकिस्तान आतंकवाद पर चुप्पी साधे और भारत को दोष दे, यह उनकी पुरानी रणनीति है।”

पाकिस्तान का यह रवैया उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति पर अडिग रहेगा और किसी भी उकसावे का जवाब देने में सक्षम है। शरीफ की बयानबाजी से साफ है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों का इस्तेमाल अपनी छवि सुधारने और भारत को बदनाम करने के लिए करता है, लेकिन तथ्य और सबूत भारत के पक्ष में हैं।

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