सावधान! युवाओं में तेजी से बढ़ रहे कार्डियक अरेस्ट के मामले: लक्षण, कारण और बचाव

हाल के वर्षों में भारत में युवाओं में सडन कार्डियक अरेस्ट (Sudden Cardiac Arrest) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जो एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। पहले यह समस्या मुख्य रूप से बुजुर्गों में देखी जाती थी, लेकिन अब 25-45 वर्ष की आयु के युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।

कार्डियक अरेस्ट एक ऐसी आपातकालीन स्थिति है, जिसमें हृदय अचानक धड़कना बंद कर देता है, जिससे मस्तिष्क और शरीर के अन्य हिस्सों में रक्त की आपूर्ति रुक जाती है। यदि तुरंत उपचार न मिले, तो कुछ ही मिनटों में मृत्यु हो सकती है। आइए जानते हैं इसके लक्षण, कारण, और बचाव के उपाय।

कार्डियक अरेस्ट क्या है?

कार्डियक अरेस्ट तब होता है, जब हृदय की विद्युत प्रणाली (इलेक्ट्रिकल सिस्टम) में गड़बड़ी के कारण दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है या रुक जाती है। यह हार्ट अटैक से अलग है। हार्ट अटैक में धमनियों में रुकावट के कारण हृदय तक रक्त प्रवाह कम हो जाता है, जबकि कार्डियक अरेस्ट में हृदय पूरी तरह काम करना बंद कर देता है। यह स्थिति अचानक और बिना किसी चेतावनी के हो सकती है।

युवाओं में कार्डियक अरेस्ट के बढ़ते मामले

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, गैर-संक्रामक बीमारियां जैसे हृदय रोग, डायबिटीज, और स्ट्रोक दुनिया भर में 74% मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। भारत में 40-50% कार्डियक अरेस्ट के मामले 55 वर्ष से कम उम्र के लोगों में देखे जा रहे हैं। गुड़गांव के आर्टेमिस अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मनजिंदर संधू के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 12 लाख युवाओं की मौत कार्डियक अरेस्ट के कारण होती है।

लक्षण जो देते हैं संकेत

कार्डियक अरेस्ट अक्सर बिना किसी पूर्व चेतावनी के होता है, लेकिन कुछ मामलों में शरीर पहले से संकेत देता है। इन लक्षणों को नजरअंदाज करना जानलेवा हो सकता है:

  1. सीने में दर्द या भारीपन: सीने के बीच में दबाव, निचोड़ने जैसा दर्द, जो बाहों, पीठ, गर्दन, या जबड़े तक फैल सकता है।
  2. सांस लेने में तकलीफ: बिना किसी स्पष्ट कारण के सांस फूलना या सांस लेने में कठिनाई।
  3. अचानक चक्कर या बेहोशी: बार-बार चक्कर आना, आंखों के सामने अंधेरा छाना, या अचानक बेहोश होना।
  4. अत्यधिक थकान: सामान्य गतिविधियों के बाद भी असामान्य थकान, जो पहले कभी अनुभव न हुई हो।
  5. दिल की धड़कन में अनियमितता: तेज या अनियमित धड़कन (पैल्पिटेशन) या फड़फड़ाहट।
  6. अत्यधिक पसीना और जी मिचलाना: बिना किसी कारण अचानक पसीना आना, खासकर ठंडा पसीना, और उल्टी जैसा महसूस होना।
  7. खांसी या घबराहट: अचानक खांसी शुरू होना या दिल में बेचैनी महसूस होना।

ये लक्षण अगर एक हफ्ते पहले से दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

कार्डियक अरेस्ट के प्रमुख कारण

युवाओं में कार्डियक अरेस्ट के बढ़ते मामलों के पीछे निम्नलिखित कारण जिम्मेदार हैं:

  1. अनहेल्दी लाइफस्टाइल: अनियमित खानपान, जंक फूड, तैलीय और प्रोसेस्ड भोजन का अधिक सेवन।
  2. तनाव और मानसिक दबाव: करियर, पढ़ाई, और सामाजिक दबाव के कारण तनाव और डिप्रेशन, जो हार्मोन असंतुलन पैदा करते हैं।
  3. धूम्रपान और शराब: ये रक्त वाहिकाओं को संकुचित करते हैं, जिससे हृदय पर दबाव बढ़ता है।
  4. मोटापा, डायबिटीज, और हाई ब्लड प्रेशर: ये जोखिम कारक हृदय रोगों को बढ़ावा देते हैं।
  5. पोस्ट-कोविड प्रभाव: कोविड-19 से उबरने वाले लोगों में हृदय की मांसपेशियों में सूजन या कमजोरी देखी गई है, जो कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ाती है।
  6. आनुवंशिक कारण: परिवार में हृदय रोगों की हिस्ट्री होने पर जोखिम बढ़ जाता है।
  7. अत्यधिक व्यायाम: बिना चिकित्सकीय सलाह के भारी जिमिंग या ओवर-एक्सरसाइज हृदय पर दबाव डाल सकती है।
  8. नशीले पदार्थों का सेवन: कोकीन, हेरोइन, या अन्य ड्रग्स हृदय की गति को अनियंत्रित कर सकते हैं।

बचाव के उपाय

कार्डियक अरेस्ट से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाएं:

  1. स्वस्थ जीवनशैली: संतुलित आहार लें, जिसमें ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, और कम वसा वाले खाद्य पदार्थ शामिल हों। तैलीय और प्रोसेस्ड फूड से बचें।
  2. नियमित व्यायाम: रोजाना 30 मिनट का मध्यम व्यायाम, जैसे तेज चलना, योग, या तैराकी, हृदय को स्वस्थ रखता है। ओवर-एक्सरसाइज से बचें।
  3. तनाव प्रबंधन: योग, मेडिटेशन, और गहरी सांस लेने की तकनीकों से तनाव कम करें।
  4. धूम्रपान और शराब से दूरी: ये हृदय के लिए हानिकारक हैं। धूम्रपान छोड़ने के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें।
  5. नियमित स्वास्थ्य जांच: हर 6 महीने में ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, और शुगर की जांच कराएं, खासकर अगर परिवार में हृदय रोगों की हिस्ट्री हो।
  6. सीपीआर का प्रशिक्षण: कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में तुरंत सीपीआर (Cardiopulmonary Resuscitation) देना जानलेवा स्थिति से बचा सकता है।
  7. आपातकालीन उपाय: लक्षण दिखते ही तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंचें और एम्बुलेंस को कॉल करें। मरीज के हाथ-पैर के तलवों को रगड़ने से भी मदद मिल सकती है।
  8. सुपरफूड्स का सेवन: लौकी, लहसुन, अलसी, दालचीनी, और तुलसी जैसे खाद्य पदार्थ हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं।

आपातकालीन स्थिति में क्या करें?

  • यदि कोई व्यक्ति अचानक बेहोश हो जाए या सांस न ले रहा हो, तो तुरंत सीपीआर शुरू करें। सीने के बीच में 100-120 बार प्रति मिनट की गति से दबाव डालें।
  • तुरंत एम्बुलेंस (108) को कॉल करें और मरीज को नजदीकी अस्पताल ले जाएं।
  • समय बर्बाद न करें, क्योंकि कार्डियक अरेस्ट में हर सेकंड कीमती होता है।

युवाओं में कार्डियक अरेस्ट के बढ़ते मामले चेतावनी हैं कि हमें अपनी जीवनशैली और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। लक्षणों को समय पर पहचानकर और स्वस्थ आदतें अपनाकर इस साइलेंट किलर से बचा जा सकता है। नियमित स्वास्थ्य जांच, संतुलित आहार, और तनाव प्रबंधन न केवल हृदय को स्वस्थ रखेंगे, बल्कि लंबा और स्वस्थ जीवन भी सुनिश्चित करेंगे।

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