पाकिस्तान-सऊदी अरब रक्षा समझौता: इस्लामाबाद ने किया खुलासा, रियाद को दी परमाणु छत्रछाया

पाकिस्तान ने सऊदी अरब के साथ एक नए रक्षा समझौते के तहत अपनी परमाणु क्षमताओं को विस्तार देने की बात कही है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि यह पहली बार है जब इस्लामाबाद ने सऊदी अरब को अपनी परमाणु छत्रछाया के तहत लाने की बात स्पष्ट रूप से स्वीकारी है।

आसिफ ने गुरुवार देर रात जियो टीवी को दिए साक्षात्कार में कहा, “पाकिस्तान की परमाणु क्षमता लंबे समय से स्थापित है, जब हमने परीक्षण किए थे। तब से हमारे पास युद्धक्षेत्र के लिए प्रशिक्षित बल हैं। हमारी जो क्षमताएं हैं, वे इस समझौते के तहत पूरी तरह उपलब्ध होंगी।”

बुधवार को हस्ताक्षरित इस समझौते में कहा गया है कि एक देश पर हमला दोनों पर हमला माना जाएगा। आसिफ ने इसे “दोनों पक्षों द्वारा एक-दूसरे को दी गई छत्रछाया व्यवस्था” बताया, जिसमें किसी भी पक्ष पर हमले की स्थिति में संयुक्त रूप से जवाब दिया जाएगा। उन्होंने पाकिस्तान को “जिम्मेदार परमाणु शक्ति” बताते हुए कहा कि देश की परमाणु सुविधाएं निरीक्षण के लिए खुली हैं और अंतरराष्ट्रीय प्रमाणपत्र प्राप्त करती हैं।

आसिफ ने इजरायल का जिक्र करते हुए कहा कि वह भी परमाणु शक्ति होने के बावजूद अपनी सुविधाएं निरीक्षण के लिए नहीं खोलता। इस समझौते को खाड़ी क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच इजरायल को एक संदेश के रूप में देखा जा रहा है, जिसे मध्य पूर्व की एकमात्र परमाणु-सशस्त्र शक्ति माना जाता है। आसिफ ने यह भी कहा कि इस समझौते का उपयोग “किसी आक्रामकता के लिए नहीं” किया जाएगा, लेकिन खतरे की स्थिति में यह प्रभावी होगा।

यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब खाड़ी क्षेत्र में इजरायली हमलों, विशेष रूप से दोहा में हमास नेताओं पर हुए हमले के बाद तनाव बढ़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता इजरायल के लिए एक रणनीतिक संदेश है। सऊदी अरब के बारे में लंबे समय से संदेह है कि उसने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को वित्तीय सहायता दी है। बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान के पास लगभग 170 परमाणु हथियार हैं, जो भारत के 172 के करीब है।

भारत की प्रतिक्रिया
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा कि भारत को उम्मीद है कि सऊदी अरब इस समझौते में “पारस्परिक हितों और संवेदनशीलताओं” को ध्यान में रखेगा। उन्होंने कहा कि भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा। जायसवाल ने यह भी कहा कि भारत इस समझौते के प्रभावों का अध्ययन करेगा।

यूरेशिया ग्रुप के अध्यक्ष इयान ब्रेमर ने इंडिया टुडे टीवी को बताया कि यह समझौता न केवल पाकिस्तान को मजबूत करेगा, बल्कि भारत की सुरक्षा गणना को भी बदलेगा, खासकर मई में ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत के सैन्य कार्रवाई के बाद।

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