ट्रम्प ने H-1B वीजा पर 100,000 डॉलर सालाना शुल्क लगाने का आदेश जारी किया: भारतीय तकनीकी कर्मियों पर सबसे ज्यादा असर, तकनीकी उद्योग को झटका

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार (19 सितंबर 2025) को एक घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जिसमें H-1B वीजा आवेदनों पर प्रति वर्ष 100,000 डॉलर का शुल्क लगाया गया है। यह व्यापक बदलाव अमेरिकी तकनीकी उद्योग के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, जो भारत और चीन के कुशल कर्मचारियों पर बहुत अधिक निर्भर है।

इस कदम का सबसे ज्यादा असर भारतीय पेशेवरों पर पड़ने की संभावना है, जो H-1B वीजा धारकों का सबसे बड़ा हिस्सा (लगभग 71%) हैं।

प्रमुख बिंदु

  • H-1B वीजा पर नया शुल्क: पहले H-1B आवेदकों को लॉटरी के लिए 215 डॉलर और अन्य शुल्कों (लगभग 1,500-2,500 डॉलर) का भुगतान करना पड़ता था। अब नया नियम 100,000 डॉलर प्रति वर्ष का शुल्क लागू करता है, जो नए और नवीनीकरण दोनों आवेदनों पर लागू होगा।
  • उद्देश्य: ट्रम्प प्रशासन का कहना है कि यह कदम H-1B प्रोग्राम के दुरुपयोग को रोकने और अमेरिकी कर्मचारियों की रक्षा करने के लिए है। प्रशासन का दावा है कि कुछ कंपनियां कम वेतन पर विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करती हैं, जिससे अमेरिकी कर्मचारियों का वेतन कम होता है।
  • प्रभाव: यह शुल्क छोटी कंपनियों और स्टार्टअप्स के लिए भारी बोझ होगा, जो इस लागत को वहन करने में असमर्थ हो सकती हैं। भारतीय कर्मचारी, जो तकनीक, परामर्श और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों में H-1B वीजा पर हावी हैं, कम अवसरों का सामना कर सकते हैं।
  • अन्य बदलाव: ट्रम्प ने ‘ट्रम्प गोल्ड कार्ड’ नामक 1 मिलियन डॉलर की वीजा श्रेणी भी शुरू की, जो धनी विदेशियों के लिए है। साथ ही, एक प्रस्तावित ‘प्लेटिनम कार्ड’ (5 मिलियन डॉलर) पर भी चर्चा है, जिसे कांग्रेस की मंजूरी की जरूरत होगी।
  • कानूनी चुनौतियां: इस बदलाव को कानूनी और राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि राष्ट्रपति को बिना कांग्रेस की मंजूरी के इस तरह के शुल्क लगाने का अधिकार है या नहीं, यह विवादास्पद है।

भारतीय कर्मचारियों पर असर

H-1B वीजा प्रोग्राम 85,000 वीजा प्रतिवर्ष प्रदान करता है (65,000 सामान्य + 20,000 उन्नत डिग्री वालों के लिए)। भारत के पेशेवर, खासकर तकनीकी क्षेत्र में, इसका सबसे बड़ा हिस्सा लेते हैं। 2023 में 73% H-1B वीजा भारतीयों को मिले। नया शुल्क कंपनियों को उच्च वेतन वाले, उच्च-कुशल कर्मचारियों को प्राथमिकता देने के लिए मजबूर करेगा, जिससे जूनियर स्तर के भारतीय कर्मचारियों के अवसर कम हो सकते हैं।

प्रतिक्रियाएं

  • वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक: “कंपनियों को यह तय करना होगा कि कर्मचारी 100,000 डॉलर प्रति वर्ष के लायक है या नहीं। यह अमेरिकी कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने की दिशा में एक कदम है।”
  • व्हाइट हाउस: एक कंपनी का उदाहरण देते हुए कहा कि इसने 5,189 H-1B कर्मचारियों को मंजूरी दी, जबकि 16,000 अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी की।
  • आलोचक: कुछ का कहना है कि यह कदम नवाचार को प्रभावित करेगा, क्योंकि तकनीकी कंपनियां विदेशी प्रतिभा पर निर्भर हैं।

पृष्ठभूमि

H-1B वीजा उच्च-कुशल विदेशी कर्मचारियों, जैसे सॉफ्टवेयर इंजीनियरों और चिकित्सा पेशेवरों, के लिए है। यह 3 साल के लिए जारी होता है और 6 साल तक नवीनीकृत हो सकता है। ट्रम्प ने पहले भी H-1B प्रोग्राम को सीमित करने की कोशिश की थी, लेकिन अदालतों ने उनके नियमों को अवरुद्ध कर दिया था।

यह कदम ट्रम्प प्रशासन की व्यापक आप्रवासन नीति का हिस्सा है, जिसमें जून में 19 देशों पर यात्रा प्रतिबंध और अन्य कानूनी आप्रवासन सीमाएं शामिल हैं।

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