देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन? भाजपा के संभावित उम्मीदवारों में दिल्ली एलजी वीके सक्सेना, बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान सहित कई बड़े नाम

उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में तैयारियां जोरों पर हैं। 9 सितंबर 2025 को होने वाले इस चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तारीख 21 अगस्त है, और भाजपा आज (17 अगस्त) अपनी अहम बैठक में उम्मीदवार के नाम पर चर्चा कर रही है।

वहीं, 19 अगस्त को एनडीए की बैठक में सत्ताधारी गठबंधन के उम्मीदवार के नाम पर अंतिम मुहर लग सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कई दिग्गज नेताओं के नाम संभावित उम्मीदवारों की सूची में शामिल हैं, जिनमें कुछ चौंकाने वाले नाम भी सामने आ रहे हैं।

संभावित उम्मीदवारों में ये नाम चर्चा में

भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा से गहराई से जुड़े नेताओं को इस बार उपराष्ट्रपति पद के लिए प्राथमिकता दी जा सकती है। संभावित उम्मीदवारों में शामिल हैं:

  • वीके सक्सेना: दिल्ली के उप-राज्यपाल, जिन्हें एक बड़े संवैधानिक पद के लिए विचार किया जा रहा है। उनकी प्रशासनिक क्षमता और अनुभव उन्हें मजबूत दावेदार बनाता है।
  • आरिफ मोहम्मद खान: बिहार के वर्तमान राज्यपाल और पूर्व में केरल के राज्यपाल रह चुके खान का नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा है। उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि और अनुभव उन्हें इस दौड़ में आगे रखता है।
  • आचार्य देवव्रत: गुजरात के राज्यपाल, जो पहले हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रह चुके हैं। उनकी साफ छवि और संघ से जुड़ाव उन्हें मजबूत दावेदार बनाता है।
  • थावरचंद गहलोत: कर्नाटक के राज्यपाल और पूर्व केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री। उनका लंबा राजनीतिक अनुभव और दलित समुदाय से संबंध इस दौड़ में महत्वपूर्ण है।
  • ओम माथुर: सिक्किम के राज्यपाल और भाजपा के वरिष्ठ नेता। उनकी संगठनात्मक क्षमता और संघ से निकटता उनके पक्ष में है।
  • मनोज सिन्हा: जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल, जिनका कार्यकाल अगस्त 2025 में समाप्त हो रहा है। उनकी प्रशासनिक उपलब्धियां और केंद्र सरकार के साथ नजदीकी उन्हें इस रेस में शामिल करती हैं।
  • शेषाद्री चारी: आरएसएस के वरिष्ठ विचारक और विदेश नीति विश्लेषक। उनकी वैचारिक स्पष्टता और संघ से गहरा जुड़ाव उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाता है।
  • हरिवंश नारायण सिंह: राज्यसभा के वर्तमान उप-सभापति और जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद। बिहार से उनका जुड़ाव और संसदीय अनुभव उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त बनाता है, खासकर बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए।

इसके अलावा, कुछ अन्य नाम जैसे केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी चर्चा में हैं, हालांकि इनकी संभावना अपेक्षाकृत कम मानी जा रही है।

क्यों हो रही है इतनी चर्चा?

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद यह 17वां उपराष्ट्रपति चुनाव कराया जा रहा है। धनखड़ का कार्यकाल अगस्त 2027 तक था, लेकिन उनके इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। कुछ रिपोर्ट्स में उनके और केंद्र सरकार के बीच तनाव की बात भी सामने आई है, खासकर न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के महाभियोग पर उनके रुख को लेकर।

भाजपा और एनडीए, जिनके पास लोकसभा और राज्यसभा में कुल 782 सांसदों के निर्वाचक मंडल में 425 सांसदों का समर्थन है, इस चुनाव में मजबूत स्थिति में हैं। जीत के लिए 392 वोटों की आवश्यकता है, जिसे एनडीए आसानी से हासिल कर सकता है। इसीलिए उम्मीदवार का चयन रणनीतिक और वैचारिक रूप से महत्वपूर्ण है। भाजपा एक ऐसे नेता को चुनना चाहती है जो न केवल पार्टी और संघ की विचारधारा को मजबूती दे, बल्कि क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरणों को भी संतुलित करे।

चुनाव प्रक्रिया और समयसीमा

चुनाव आयोग ने 7 अगस्त को अधिसूचना जारी की थी। मतदान 9 सितंबर को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक संसद भवन में होगा, और उसी दिन मतगणना होगी। नामांकन पत्र 21 अगस्त तक दाखिल किए जा सकते हैं, जांच 22 अगस्त को होगी, और नाम वापसी की अंतिम तारीख 25 अगस्त है। उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों (नामित सदस्यों सहित) द्वारा गुप्त मतदान के जरिए होता है, जिसमें आनुपातिक प्रतिनिधित्व और एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली का उपयोग होता है।

रणनीतिक महत्व

भाजपा इस चुनाव को 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव और अन्य राज्यों में अपनी स्थिति मजबूत करने के अवसर के रूप में देख रही है। बिहार से जुड़े नेताओं जैसे हरिवंश या नीतीश कुमार का नाम इसलिए भी महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, दलित और पिछड़े समुदायों से आने वाले नेताओं जैसे थावरचंद गहलोत को चुनकर पार्टी सामाजिक समीकरणों को साधने की कोशिश कर सकती है।

LIVE TV