इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहराइच में बुलडोजर कार्रवाई पर लगाई रोक, आरोपियों को जवाब देने के लिए दिया 15 दिन का समय

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रविवार (20 अक्टूबर) को बहराइच हिंसा मामले में आरोपियों की संपत्तियां गिराने के उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के नोटिस पर रोक लगा दी। न्यायालय ने प्रभावित व्यक्तियों को पीडब्ल्यूडी के नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय भी दिया।

न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कहा कि संबंधित व्यक्ति 15 दिनों के भीतर नोटिस पर अपना जवाब दाखिल कर सकते हैं तथा राज्य प्राधिकारियों को उक्त जवाबों पर विचार करने तथा उन पर तर्कपूर्ण आदेश पारित करने का निर्देश दिया।

मामले की अगली सुनवाई तीन दिन बाद 23 अक्टूबर को होगी।

न्यायमूर्ति ए.आर. मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया।

बहराइच के दुकानदारों को ध्वस्तीकरण नोटिस

बहराइच हिंसा के मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद समेत 23 लोगों के मकान और दुकानों पर शनिवार को पीडब्ल्यूडी ने नोटिस चिपका दिया था। पीडब्ल्यूडी ने सरकारी सड़क पर अतिक्रमण हटाने के लिए यह नोटिस लगाया था। ग्रामीण सड़क के बीच से 60 फीट की दूरी पर किए गए निर्माण को तीन दिन में हटाने को कहा गया था।

यह कार्रवाई बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के बीच जिले के महाराजगंज क्षेत्र में 22 वर्षीय हिंदू व्यक्ति की गोली मारकर हत्या के बाद की गई है।

ध्वस्तीकरण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं

इस बीच बहराइच हिंसा के बाद प्रस्तावित बुलडोजर कार्रवाई को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका के जरिए उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दिए गए नोटिस को रद्द करने और बुलडोजर कार्रवाई को रोकने की मांग की गई है। इधर नोटिस मिलने पर लोग खुद ही अपने घर खाली कर रहे हैं और सामान दूसरी जगह ले जा रहे हैं। पीडब्ल्यूडी की ओर से नोटिस मिलने के बाद इलाके में हड़कंप मच गया।

बहराइच हिंसा के तीन नामजद आरोपियों या परिजनों की ओर से यह याचिका दाखिल की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि जिन संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने की बात कही गई है, वे 10 से 70 साल पुरानी हैं और संपत्तियों के मालिक दिहाड़ी मजदूर और पेशे से किसान हैं।

बहराइच हिंसा

13 अक्टूबर को महाराजगंज में एक पूजा स्थल के बाहर तेज आवाज में संगीत बजाने को लेकर हुए अंतर-धार्मिक विवाद के बाद गोली लगने से राम गोपाल मिश्रा (22) की मौत हो गई थी। इस घटना से सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी, जिसके कारण इलाके में आगजनी और तोड़फोड़ हुई थी और चार दिनों के लिए इंटरनेट बंद कर दिया गया था, इस दौरान लोग ज्यादातर घरों के अंदर ही रहे।

अधिकारियों के अनुसार, 13 अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक मिश्रा की हत्या और उसके बाद हुई हिंसा के सिलसिले में जिले में कम से कम 11 एफआईआर दर्ज की गईं, जिनमें सैकड़ों अज्ञात दंगाइयों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। छह नामजद व्यक्तियों सहित करीब 1,000 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए।

सांप्रदायिक हिंसा के मद्देनजर एक स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) और एक पुलिस चौकी प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है, जबकि सर्कल ऑफिसर रूपेंद्र गौड़, तहसीलदार रविकांत द्विवेदी और जिला सूचना अधिकारी गुलाम वारिस सिद्दीकी को उनके पदों से हटा दिया गया है।

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