
दिलीप कुमार
मध्य प्रदेश के ग्वालियर से एक सरकारी अध्यापक की आय से अधिक संपत्ति का मामला सामने आया है। इस मामले का खुलासा आर्थिक अपराध शाखा ने किया है।

शनिवार को ग्रामीण महराजापुरा स्थित एक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक प्रशांत परमार के स्वामित्व वाली चार भव्य आवासीय संपत्तियों और अन्य प्रतिष्ठानों पर जांचकर्ताओं ने छापा मारा।
छापे के दौरान जाचकर्ताओं ने पाया कि 40 वर्षीय परमार के पास ग्वालियर में चार बहुमंजिला इमारतों के अलावा दो मैरिज हॉल और शहर के एक व्यावसायिक परिसर में एक कार्यालय है। इसके साथ ही वो एक स्कूल, चार कॉलेज भवनों में नर्सिंग और बैचलर ऑफ एजुकेशन (BEd) की कक्षाएं चलाकर भी कमाई करते हैं।
आर्थिक अपराध शाखा उनके घर के अलावा उनके कॉलेज, ऑफिस और मैरिज हॉल में भी छापेमारी की। जांचकर्ताओं ने बताया कि उनके एक घर में 36 लाख रूपये के आभूषण के साथ 7.5 लाख रूपये नकद मिले।
ईओडब्ल्यू के पुलिस अधिक्षक बिट्टू सहगल ने बताया कि अध्यापक के सभी संस्थानों को मान्यता मिली है या नहीं, इसके बारे में जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। अभी सिर्फ उसके आय के स्रोतों को जानने का प्रयास कर रहे हैं।
आपको बता दें कि 40 वर्षीय परमार की नौकरी 2006 में लगी थी, जिनका वेतन 10400 रूपये प्रति माह है। सरकारी शिक्षक के तौर पर परमार के द्वारा 16 में कमाया गया कुल संचित आय लगभग 20 लाख रूपये होनी चाहिए, जबकि वहीं अगर जांच कर्ताओं की माने तो वर्तमान में उनकी कुल संपत्ति 2.13 करोड़ है। अधिकारियों ने संभावना जताते हुए कहा कि जांच की प्रक्रिया आगे बढ़ने के बाद यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। इस मामले के शुरूआती जांच में ये बात सामने आई है कि परमार ऐसी कई सोसाईटी के चेयरमैन हैं।
गौरतलब है कि राज्य कर्मचारी कानून के अनुसार सरकारी कर्माचारी होने के नाते वह बिना अनुमति के निजी व्यवसाय नहीं कर सकते हैं। जांच अधिकारियों ने बताया कि निजी व्यवसाय की अनुमति लेने के लिए राज्य की तरफ से नियम-कायदे तय हैं और परमार ने ऐसा नहीं किया था। यदि एक सरकारी कर्मचारी को निजी व्यवसाय करना है, तो उसे अपनी आय का स्रोत घोषित करना होता है।
बता दें कि अभी जांच जारी है और जांच अधिकारी यह पता लगाने के जुगत में हैं कि क्या परमार ने अपने भाइयों या परिवार के अन्य सदस्यों के नाम से संपत्ति जमा की है।