गृह मंत्री अमित शाह ने ‘मेरा परिवार-भाजपा परिवार’ अभियान का किया उद्घाटन

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लखनऊ के डिफेंस एक्सपो ग्राउंड में भाजपा का मेगा सदस्यता अभियान ‘मेरा परिवार-भाजपा परिवार’ का उद्घाटन किया। इस मौके पर राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत भाजपा के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहें। इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, भाजपा ने उत्तर प्रदेश को उसकी पहचान वापस दिलाने का काम किया है। भाजपा ने सिद्ध किया है कि सरकारें जो बनती है वे परिवारों के लिए नहीं होती है, सरकारें सूबे के सबसे गरीब से गरीब व्यक्ति के लिए होती है।

शाह ने कहा, पांच साल तक घर बैठने वाले, नए कपड़े सिलाकर चुनाव के मैदान में आ गए हैं। मैं एक हिसाब अखिलेश जी से मांगता हूं कि 5 साल में आप कितनी बार विदेश गए हैं। इसका हिसाब लखनऊ और उत्तर प्रदेश की जनता को दे दीजिए। भारतीय जनता पार्टी का घोषणा पत्र कोई NGO या संस्था नहीं बनाती है। 22 करोड़ जनता द्वारा दिए गए सुझावों के आधार पर तैयार होता है भाजपा का घोषणा पत्र। यूपी में कोरोना महामारी आई, बाढ़ आई, तब आप कहां थे अखिलेश जी? इसका हिसाब दे दीजिए। इन लोगों ने खुद के लिए और उनके परिवार के लिए ही सब किया है।

गृहमंत्री ने कहा, आज फिर से चुनाव के नगाड़े बजे हैं। मैं देखता हूं कि पांच साल तक जो लोग अपना घर पकड़कर बैठ गए थे, वे नए कपड़े सिलाकर मैदान में आ गए हैं कि अब हमारी सरकार बनने वाली है। मैंने घोषणा पत्र रिलीज किया था, तो मेरी जिम्मेदारी थी। योगी सरकार ने 90 फीसदी वादे पूरे कर लिए हैं। अभी दो महीने बचे हैं, आप शत-प्रतिशत वादों को पूरा करने की ओर ले जाइए। जनता तब मान लेगी कि भाजपा जो कहती है, वो करती है। पहले की सरकार में बच्चियां घर से बाहर नहीं निकल सकती थीं। पहले हर जिले में 2-3 बाहुबली थे, लेकिन आज दूरबीन लेकर ढूंढता हूं तो कहीं भी कोई बाहुबली दिखाई नहीं देता है।

शाह ने कहा, अखिलेश बाबू, आपको याद दिलाना चाहता हूं कि आपकी पार्टी की सरकार थी तब निर्दोष रामभक्तों को गोलियों से भूनने का काम किया था। आज वही राज्य है, भाजपा सरकार है और रामलला शान के साथ एक गगनचुंबी मंदिर में विराजमान होने वाले हैं। कुछ दल ऐसे होते हैं, जैसे बारिश में मेंढक बाहर आ जाते हैं। वैसे ही चुनावी मेंढक भी चुनाव के वक्त बाहर आते हैं। ये अखिलेश एंड कंपनी 2014, 2017, 2019 में हमें ताने देते थे। कहते थे- “मंदिर वहीं बनाएंगे, तिथि कभी नहीं बताएंगे।” अखिलेश बाबू, तिथि ही नहीं, अब तो मंदिर की नींव भी डाल दी है। आप तो 5 हजार रुपया देने से भी चूक गए। पहले की सरकार में बच्चियां घर से बाहर नहीं निकल सकती थीं। पहले हर जिले में 2-3 बाहुबली थे, लेकिन आज दूरबीन लेकर ढूंढता हूं तो कहीं भी कोई बाहुबली दिखाई नहीं देता है।

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