जानिए क्या है अपना दल का सियासी समीकरण, यूपी की राजनीति में क्यों है अहम
बीते कुछ सालों में जातीय आधार पर चुनावी वोट बैंक खड़ा कर यूपी में राजनीतिक मुकाम हासिल करने वाली पार्टियों में अपना दल का नाम भी शामिल है। कानपुर से लेकर पूर्वांचल तक के कई जनपदों में उपजातियों में बंटी खेतिहर और कमेरा बिरादरी को एकजुट कर अपना दल ने यूपी ही नहीं केंद्र की सत्ता में भी अपनी भागीदारी हासिल की है। अपना दल एस की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल मौजूदा समय में सांसद के साथ ही मोदी सरकार में मंत्री भी हैं। विधानसभा चुनाव से पहले जातीय समीकरणों के आधार पर उन्हें मंत्रीमंडल में शामिल किया गया है।
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यह है गठन की कहानी
कांशीराम से मतभेद के बाद बसपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल डॉ. सोनेलाल पटेल ने 4 नवंबर 1995 को अपना दल का गठन किया था। सोनेलाल वैसे तो कभी खुद चुनाव नहीं जीते लेकिन विधानसभा चुनाव 2002 में अपना दल ने 3 सीटें जरूर जीती। इसके बाद 2009 में पटेल का सड़क हादसे में निधन हो गया। बेटी अनुप्रिया पटेल को पार्टी का महासचिव बनाया गया। इसके बाद 2012 में अनुप्रिया पटेल रोहनियां विधानसभा सीट से जीतकर विधायक बनी। इसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन के साथ चुनाव लड़ मिर्जापुर से अनुप्रिया पटेल और प्रतापगढ़ से हरिवंश सिंह ने जीत दर्ज की।
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दो हिस्सों में बंट गई पार्टी
मोदी मंत्रिमंडल में 2016 में अनुप्रिया 36 साल की उम्र में सबसे कम उम्र की मंत्री बनी। हालांकि इसी बीच पारिवारिक लड़ाई के दौरान पार्टी का विभाजन हो गया। मां कृष्णा पटेल से अलग होकर अनुप्रिया पटेल ने अपना दल(एस) बना लिया। जबकि 2019 में अनुप्रिया पटेल पुनः मिर्जापुर से सांसद बनी और अब वह केंद्रीय मंत्री है।
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