
नेपाल में बीते दिनों हुई संसद भंग के बाद कुछ भी सही नजर नहीं आ रहा। जानकारी के लिए आपको बता दें कि नेपाल में संसद भंग हो जाने से राजनीतिक गतिविधियां तेज होती नजर आ रही हैं। यहां राजनेताओं में उठापटक का दौर जारी है। इसी के मद्देनजर भारत सरकार ने अपना एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया। भारत ने नेपाल को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह उसका निजी मामला है जिसमें भारत कोई दखल नहीं देगा। गौरतलब है कि नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने संसद के निचले सदन को भंग करने का अनुरोध राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से किया था जिसको लेकर उन्होंने सहमति जताई।

संसद भंग हो जाने के बाद नेपाल में सत्ताधारपी पार्टी में गफलत मची हुई है वहीं विपक्ष लगातार सरकार पर हावी होता नजर आ रहा है। सूत्रों की मानें तो अब यह मामला नेपाल में लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। मामला इतना बढ़ गया है कि इसे सुप्रीम कोर्ट तक ले आया जा चुका है। इीस बीच यदि बात करें भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची की तो उन्होंने इसे लेकर कहा कि प्रतिनिध सभा को भंग करना और सत्ताधारी पार्टी में कलह नेपाल का आंतरिक मामला है और पड़ोसी देश को इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत सुलझाना चाहिए।