
गुरुवार को खरना के साथ निर्जला व्रत शुरु हो गया। छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय होता है। हिंदु पंचांग के मुताबिक यह कार्तिक मास की पंचमी को मनाया जाता है। इस दौरान गोधूली बेला में खीर और फलों का प्रसाद बना कर व्रतियां अर्घ्य देती हैं। इसी के साथ खरना ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरु हो जाता है। जिसके बाद शुक्रवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

आपको बता दें कि व्रतियां 21 नवंबर की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देते हुए व्रत का पारण करेंगी। इसके बाद यह छठ महापर्व संपन्न होगा। चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व में लोग छठ मैया की भक्ति में लगे रहते हैं। आपको बता दें कि व्रत में खरना के दिन पूरे दिन व्रत रखा जाया है। इसके बाद 36 घंटे तक कुछ नहीं खाया जाता। इसी के साथ जल भी नहीं पिया जाता है। जिसके बाद छठवर्ती के घरों में गुड़, अरवा चावल व दूध से मिश्रित रसिया बनाए जाता हैं। रसिया को केले के पत्ते में मिट्टी की ढकनी में रख मां षष्ठी का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि मां षष्ठी एकांत व शांत रहने पर ही भोग ग्रहण करती हैं।
खरना: सूर्योदय सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर होगा, वहीं सूर्यास्त शाम 05 बजकर 26 मिनट पर होगा।