यूपी की जिद्दी बेटी: सपनों के लिए छोड़ा घर, ऐसे बनी अफसर जानें संघर्ष की कहानी

देश में आज के समय बेटियां-बेटों के साथ कंधे से कंधा मिला कर चल रही है लेकिन आज के वक्त में भी कुछ परिवार के लोग लड़कियो को पराया धन मानते है इसलिए कभी उसकी पढ़ाई बीच में ही रुकवा दी जाती है तो कभी जल्द से जल्द उसकी शादी यह कहते हुए कर दी जाती है कि अब जो भी करना है ससुराल जाकर करना। लेकिन उत्तर प्रदेश के मेरठ की एक बेटी ने अपने परिवार की इस सोच को नहीं माना और घर से बगावत कर अलग होने के बाद संजू ने वर्ष 2013 में सिविल सर्विसेज़ की तैयारी शुरू की। सात साल बाद उसका संघर्ष रंग लाया और उसने अपनी मेहनत और लगन से पीसीएस परीक्षा (PCS Exam) पास की। दरअसल, मेरठ की रहने वाली संजू का जन्म ऐसे परिवार में हुआ, जहां बेटियों की शिक्षा को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती है। इसी सोच की वजह से उसकी बड़ी बहन की शादी इंटर पास करने के बाद ही कर दी गई थी। जैसे ही उन्होंने इंटर पास किया तो घरवाले संजू को भी आगे पढ़ने से मना करने लगे।

संजू ने जब इस बात का विरोध किया तो उसे आए दिन घरवालों के गुस्से का सामना करना पड़ता था। लिहाजा एक दिन उसने घर छोड़ने का निर्णय लिया। अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए उसने कभी ट्यूशन पढ़ाया तो कभी प्राइवेट नौकरी की। लेकिन उसने अपनी तैयारी नहीं छोड़ी। आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई और वर्षों की तपस्या का फल उसे इस कामयाबी से मिला। पीसीएस परीक्षा पास करने वाली संजू अब आईएएस की तैयारी कर रही हैं।

संजू की ख्वाहिश है कि वो मेरठ में ही एक दिन कलेक्टर बनकर आए। संजू का कहना है कि किस्मत कह रही थी कि हम आगे बढ़ने नहीं देंगे। लेकिन मैं कह रही थी कि हम अपने हाथ की लकीरों को खुद बनाएंगे और आखिरकार मैंने अपनी तदबीर से अपनी तकदीर लिख दी। वहीं संजू के गुरु अभिषेक शर्मा का कहना है कि उसकी सफलता समाज की उस सोच की हार है जहां बेटियों को बेटों से कमतर आंका जाता है।

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