
इस वक्त दुनिया में कोरोना वायरस का आतंक फैला हुआ है. हजारों में मौत और अनगिनत लोग संक्रमित हो चुके हैं इससे. अर्थव्यवस्था हिल चुकी है. लोगों के काम ठप पड़े हैं. लेकिन बड़ी बात ये है कि लोगों की जान पर बन आई है. घरों में बंद रहना पड़ रहा है जिससे रोज़मर्रा के कई कामों पर असर पड़ गया है. कुछ को तो खाने के लाले पड़ चुके हैं. फिर भी सरकारें अपनी पूरी कोशिश करने में लगी हुई है. ऐसे में कोरोना वायरस से बचाव में कई बातें सामने आईं है कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं.

धूम्रपान करने वालों के लिए बुरी खबर है. अगर आप भी करते है स्मोकिंग तो आज से ही करना बंद कर दें अपनी लंबी आयु के लिए. कई स्टडी में यह बात तो साबित हो चुकी है कि इम्यून सिस्टम कमजोर रहने पर कोरोना संक्रमण का ज्यादा खतरा है, वहीं यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार धूम्रपान करने वाले को भी कोरोना संक्रमण का बहुत ज्यादा खतरा है. आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से:
स्मोकिंग यानी धूम्रपान आपके फेफड़ों पर बुरा असर करता है। कोरोना वायरस के बारे में विशेषज्ञ बताते हैं कि यह वायरस हमारे फेफड़ों तक पहुंचता है और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या होती है। फेफड़ों में पहुंचकर यह ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करता है और हमारे अंगों तक पहुंचने से रोक देता है। ऐसे में फेफड़ों का कमजोर होना कोरोना संक्रमण की स्थिति में खतरनाक हो सकता है। कोरोना वायरस के सीधे फेफड़ों पर वार करने का मतलब यह है कि आपके फेफड़े मजबूत नहीं हों तो वायरस का मुकाबला कैसे कर पाएंगे।
यूरोपियन यूनियन हेल्थ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, धूम्रपान करने वाले लोगों का शरीर अतिसंवेदनशील बन जाता है और गंभीर बीमारियों से लड़ नहीं पाता है। स्मोकिंग करने वाले लोगों को कोरोना संक्रमण जल्दी होता है और रिकवरी के चांस स्वस्थ लोगों की अपेक्षा कम रहते हैं। यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक स्मोकिंग करने वाले लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण का बहुत ज्यादा खतरा होता है।
एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में 80 फीसदी लोग जो इस बीमारी की चपेट में थे, उनमें वायरस के बहुत कम लक्षण दिखाई दिए थे, जबकि यूरोप में यह आंकड़ा 70 फीसदी होते हुए भी 10 में से 3 मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत थी। 70 साल से ज्यादा उम्र वाले मरीजों को हाइपरटेंशन, डायबिटीज, कॉर्डियो वास्कुलर की शिकायत थी, वे करोना से ज्यादा सबसे ज्यादा पीड़ित थे और इनमें भी पुरुषों की संख्या ज्यादा थी।
यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कारोलीना की एक अन्य स्टडी में बताया गया कि धूम्रपान करने से फेफड़ों में एंजाइम की क्रियाशीलता बढ़ जाती है, ऐसा होने से एसीई-2 (Angiotensin-Converting Enzyme-2) कोविड-19 के मरीजों की संख्या बढ़ती है। यह एसीई-2(ACE2) उम्र और हाइपरटेंशन जैसे कुछ अन्य कारकों के इलाज से भी बढ़ता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि ये दोनो खतरनाक तथ्य हैं। धूम्रपान करने वाले अधिकतर लोगों में इस महामारी के लक्षण के रूप में सांस लेने में तकलीफ जैसी शिकायत देखी गई।
चीन के चिकित्सकों ने जांच के लिए कोरोना वायरस के 99 मरीजों का सैंपल लिया, जिसमें पाया कि बुजुर्गों की तुलना में धूम्रपान करने वाले लोगों की मौत का आंकड़ा ज्यादा था। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग ज्यादा धूम्रपान करते हैं तो उन्हें खतरे को कम करने के लिए धूम्रपान छोड़ देना चाहिए। पब्लिक हेल्थ चैरिटी एश के चीफ एग्जिक्यूटिव देबोराह आरनॉट का कहना है कि स्वस्थ लोगों के मुकाबले धूम्रपान करने वालों को निमोनिया होने का खतरा दुगना होता है। कोरोना वायरस पीड़ित का इलाज इस बात पर आधारित होता है कि मरीज के शरीर को सांस लेने में मदद की जाए और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाए ताकि व्यक्ति का शरीर खुद वायरस से लड़ने में सक्षम हो जाए। इसलिए विशेषज्ञ धूम्रपान छोड़ने की सलाह देते हैं।