
भारत में अगर बात हिंदू धर्म की करी जाए तो यहां इस धर्म के लोगों तादाद ज्यादा है और इसलिए हिंदू राष्ट्र भी कहते हैं. साथ ही यहां मंदिरों का महत्व भी बहुत है. अलग-अलग प्रकार के मंदिरों को देखने के लिए दूर-दूर से लोग इकट्ठा होते हैं. कोई मंदिर किसी मान्यता के लिए प्रसिद्ध है तो कोई किसी. ऐसे ही एक मंदिर के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं जिसके बारे में जानकर आपको भी विश्वास नहीं होगा. ये मंदिर किसी अजूबे से कम नहीं है. कहते हैं कि इस मंदिर को बनने में 100 साल से भी ज्यादा का समय लगा था.

यह मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित एलोरा की गुफाओं में है, जिसे एलोरा के कैलाश मंदिर के नाम से जाना जाता है। 276 फीट लंबे और, 154 फीट चौड़े इस मंदिर की खासियत ये है कि इसे केवल एक ही चट्टान को काटकर बनाया गया है। ऊंचाई की अगर बात करें तो यह मंदिर किसी दो या तीन मंजिला इमारत के बराबर है।
कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में करीब 40 हजार टन वजनी पत्थरों को काटा गया था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसका रूप हिमालय के कैलाश की तरह देने का प्रयास किया गया है। कहते हैं कि इसे बनवाने वाले राजा का मानना था कि अगर कोई इंसान हिमालय तक नहीं पहुंच पाए तो वो यहां आकर अपने अराध्य भगवान शिव का दर्शन कर ले।
इस मंदिर का निर्माण कार्य मालखेड स्थित राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण (प्रथम) (757-783 ई.) ने शुरु करवाया था। माना जाता है कि इसे बनाने में 100 साल से भी ज्यादा का समय लगा था और करीब 7000 मजदूरों ने दिन-रात एक करके इस मंदिर के निर्माण में अपना योगदान दिया था।
इस भव्य मंदिर को देखने के लिए सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर से लोग आते हैं। इस मंदिर में आज तक कभी पूजा हुई हो, इसका प्रमाण नहीं मिलता। यहां आज भी कोई पुजारी नहीं है। यूनेस्को ने 1983 में ही इस जगह को ‘विश्व विरासत स्थल’ घोषित किया है।