देश में साइबर पुलिस को मात दे रहे कंप्यूटर के नौसिखिये, Youtube से ले रहे ट्रेनिंग
भारत में साइबर अपराध किसी अन्य देश की अपेक्षा कहीं ज्यादा है. इन अपराधों में शामिल अधिकतर अपराधियों की उम्र 35 साल से कम है. ये बेहद चिंता का विषय है. अगर रिपोर्ट्स की मानें तो ये वही युवा होते हैं जो कंप्यूटर का अच्छा ज्ञान होने के बाद भी नौकरी न मिलने से गलत रास्ते पर मुड़ जाते हैं. हालांकि अब इन अपराधों में कंप्यूटर के एक्सपर्ट भी शामिल हो रहे हैं.
एटीएम फ्रॉड से लोगों को भारी नुकसान
पैसे निकालने के लिए लोग बैंक की बजाय एटीएम जाना पसंद करते हैं और इनका जमकर इस्तेमाल भी हो रहा है। लेकिन इसी के साथ एटीएम से होने वाले फ्रॉड भी बढ़ते जा रहे हैं।
पैसा निकासी के समय किसी को मदद करने के बहाने अपराधी लोगों के पिन नंबर और सीवीवी नंबर जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल कर लेते हैं और कार्ड क्लोनिंग से लोगों के खातों से पैसे उड़ा देते हैं।
ऐसे अपराध में बैंक, मॉल, रेस्टोरेंट या पेट्रोल पंपों जैसी जगहों पर काम कर रहे कुछ लोग भी शामिल होते हैं। इनका काम क्रेडिट या डेबिट कार्ड का डाटा चुराकर अपने उन साथियों को उपलब्ध कराना होता है, जो दूर बैठकर इन अपराधों को अंजाम देते रहते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक कुल दर्ज मामलों में अकेले 2017 में इस तरह के अपराध के जरिये लोगों को 94.4 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया।
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एक्सपर्ट नहीं हैं अधिकारी
दिल्ली पुलिस के साइबर सेल में कार्यरत एक अधिकारी के मुताबिक इन अपराधियों से निपटने के मामले में व्यवस्था बेहद लचर है। देश की सबसे स्मार्ट पुलिस मानी जाने वाली दिल्ली पुलिस में भी ऐसे सक्षम साइबर एक्सपर्ट नहीं हैं, जो इन अपराधियों की बदलती तकनीकी से परिचित हों।
साइबर अपराध शाखा के नाम पर हर जिले में साइबर सेल अवश्य बना दिए गये हैं, लेकिन उनमें काम करने वाले अधिकारी तकनीकी तौर पर एक्सपर्ट नहीं हैं। साइबर सेल में काम कर रहे जवानों को बदलते तरीकों के प्रशिक्षण की सुविधा नहीं है, जिसके कारण ज्यादातर मामलों में ऐसे अपराधी पकड़ में नहीं आते।