
नई दिल्ली : हर साल अमेजन के वर्षा वनों में चालीस हजार करोड़ या चार सौ अरब पेड़ और उन पर निर्भर जीव सात फीट बारिश में डूब जाते हैं। वहीं यह लंदन में होने वाली सालाना वर्षा का चार गुना हैं।
जहां इस बाढ़ का एक कारण भौगोलिक अवस्थिति है। देखा जाये तो भूमध्यरेखा के नजदीक होने के कारण सूर्य की तेज रोशनी समुद्र के पानी को तेजी से भाप में बदलती है और आकाश में बादलों का रूप लेकर भारी वर्षा के तौर पर पृथ्वी पर उतरती है। लेकिन यह आधी कहानी है।
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बता दें की अमेजन के जीव-जंतु बारिश का पानी सिर्फ प्राप्त नहीं करते, बल्कि वे वर्षा को बुलाते हैं। विस्तृत इलाके तक फैले वन आसमान में रोज बीस अरब टन वाष्प छोड़ते हैं। पेड़ हवा से गैसीय तत्व और लवण सोख लेते हैं। फुंगी जीवाणुओं को सूंघते हैं। तेज हवा बैक्टीरिया, फूलों के पराग, पत्तों की खुशबू और कीड़ों की कोशिकाओं को बुहार देती है।
वहीं जंगल की भीगी सांसें, जो जीवाणुओं और जैविक अवशिष्टों को अपने में मिला लेती हैं, वर्षा के लिए आदर्श स्थिति पैदा करती हैं। हवा में भारी मात्रा में व्याप्त पानी के अलावा अनेक ऐसे सूक्ष्म कण होते हैं, जिनसे पानी सघन रूप लेता है और बहुत तेजी से बारिश के बादल तैयार हो जाते हैं।
दरअसल इतने जल प्लावन के बावजूद अमेजन बचा रहता है। जंगल वस्तुतः पृथ्वी के महत्वपूर्ण परिसंचरण तंत्र होते हैं। अमेजन के वन से जो पानी ऊपर आसमान की ओर उठता है, वह तेजी से दक्षिण अमेरिकी के फार्मों और शहरों में छा जाता है। कुछ वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि लंबे रेंज में वातावरणीय तरंग प्रभाव के जरिये अमेजन दूर स्थित कनाडा तक में बारिश को संभव करता है।