
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को चुनावी वादा किया कि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो 20 फीसदी सबसे गरीब परिवारों को सालाना 72 हजार रुपये न्यूनतम आय के रूप में दिए जाएंगे।
मतलब हर महीने 6 हजार रुपये। इस घोषणा से देश के पांच करोड़ परिवारों के लगभग 25 करोड़ लोगों को फायदा पहुंचेगा।
अब सवाल यह उठ रहा है कि सैद्धांतिक रूप से ऐसा करना तो संभव है लेकिन इसके लिए खर्च होने वाला 3.6 लाख करोड़ रुपये कहां से आएंगे। यह साफ नहीं किया गया।
कुछ एक्सपर्ट्स के अनुसार न्यूनतम आय देने के लिए 3.6 लाख करोड़ कहां से आएगा। यदि इसके साथ विभिन्न योजनाओं में दी जा रही सब्सिडी को जारी रखा गया तो सरकार का घाटा कई गुना बढ़ जाएगा।
यह भी निश्चित नहीं है कि ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों में यह निर्धारित कैसे होगा कि किसकी आय गरीबी रेखा से नीचे है।
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साल 1971 के आंकड़ों के अनुसार देश की कुल आबादी 54.8 करोड़ में 31 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे थे।
जबकि साल 2019 में भारत की जनसंख्या 136 करोड़ है और 35 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।