मिस्र में दफनाने से पहले लाशों के साथ होता है ऐसा काम, जिसे देख पाना नहीं है आसान…
चेक गणराज्य के चार्ल्स यूनिवर्सिटी से संबद्ध चेक इंस्टीट्यूट के पुरातत्वविदों की नई खोज ने कई तरह की चर्चाओं को आमंत्रित कर दिया है।
दरअसल, उन्होंने खुदाई के दौरान मिस्त्र के काइरो शहर के निकट एबुसिर के एक कब्रिस्तान में 4500 साल पहले दफन की गई 59 फीट लंबी नाव को खोजा है।
मिस्र सरकार ने भी इसे बड़ी उपलब्धि बताया है।
इस खोज से जुड़ी एक और ये भी सामने आई कि इस तरह की कई नावों के बारे में पहले भी पता चला है।
इसी तरह की एक 144 फीट लंबी नौका साल 1954 में किंगखुफु के पिरामिड में टुकड़ों में मिली थी, जिसका पुनर्निर्माण करके गिजा स्थित संग्रहालय में रखवाया जा चुका है।
नावें क्यों दफनाई जाती थीं, इस बारे में स्वयं विशेषज्ञ आश्वस्त नहीं हैं, लेकिन कुछ लोगों की मानें तो शाही परिवार के दिवंगत सदस्यों के साथ नौकाएं दफन की जाती थीं।
हालांकि कुछ नौकाएं ऐसे इलाकों के कब्रों से भी मिलीं हैं, जो शाही महल के बहुत दूर थे। एबुसिर के कब्रिस्तान के आसपास भी महल या पिरामिड नहीं हैं।
साथ ही मिस्र में ये माना जाता रहा है कि व्यक्ति की मौत एक संक्रमण काल है।
इस संसार के बाद नए जीवन में प्रवेश करने के लिए जिन साधनों, संसाधनों की आवश्यकता हो, वह भी शव के साथ कब्र में रख दिए जाते थे।
शोध दल के प्रमुख मिरोस्लाव बार्ता ने कहा कि काइरो के दक्षिण में ईंट और गारे से बनी कब्र के पास मिली 59 फीट लंबी नौका पत्थर के आधार पर रखी थी, उसमें लगे लकड़ी के फट्टे एक दूसरे से अब तक जुड़े हैं।
फट्टों को बांधने के लिए रस्सी तथा फाइबर प्लांट मैटीरियल भी सुरक्षित मिला।
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शव के साथ नाव को भी दफनाए जाने वाली बात जहां दुनियाभर के लोगों को हैरान कर रही है, वहीं, इस तरह की खोज के और आगे बढ़ने से पुरातन मिस्त्र में नौका निर्माण और अंतिम संस्कार के समय इसकी महत्ता के बारे में अनेक नई जानकारी मिलने की संभावना है।