मरने के बाद सबसे पहले यहाँ जाती है आत्मा, जानकर आप भी जाएंगे सहम…
पुनर्जन्म पर कुछ लोगों का विश्वास है तो वहीं कुछ का ऐसा मानना है कि मृत्यु के बाद आत्मा का कोई अस्तित्व नहीं होता है। हालांकि हर धर्म में पुनर्जन्म की बात कही गयी है।
ऐसा कहा गया कि मरने के बाद इंसान पिछले जन्म में किए गए कर्म के अनुसार जन्म ग्रहण करता है। अब सवाल यह आता है कि मृत्यु के बाद से लेकर दूसरा जन्म लेने तक आत्मा कहां रहती है? विज्ञान इस पर रिसर्च कर रहा है, लोग तरह-तरह के कयास लगाते हैं।
सिर्फ धर्मग्रन्थों में इस एक चीज पर अच्छी तरह से प्रकाश डाला गया है।
गरूड़ पुराण में कहा गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा को परलोक ले जाने के लिए दो यमदूत आते हैं। जो व्यक्ति अपने जीवन काल में अच्छे कर्म करते हैं उनकी आत्मा शरीर से आसानी से निकल जाती है।
इसके विपरीत जो इंसान जीते जी बुरे कामों को अंजाम देता है उसे यमदूत जबरदस्ती खींच कर अपने साथ ले जाते हैं। इस आत्मा को यमदूत यमराज के पास लेकर जाते हैं।
यमलोक में आत्मा को 24 घंटे रखा जाता है। इस दौरान उसे जीवन काल में उसके द्वारा किये गये अच्छे व बुरे कर्मों को दिखाया जाता है।
कर्मों का लेखा-जोखा होने के बाद यमदूत आत्मा को फिर से उसी स्थान पर लाकर रख देते हैं जहां से उसे लाया गया था। यहां वह आत्मा 13 दिनों तक रहती है।अंतिम संस्कार व अन्य विधि-विधान के बाद यमदूत पुनः उसे अपने साथ लेकर यमलोक की ओर चलते हैं।
अब शुरू होती है असली परीक्षा। यमलोक ले जाने के मार्ग पर बुरी आत्माओं को यम की भयानक नगरी यानि कि नर्क के दर्शन कराये जाते हैं। राह में आत्मा को कई प्रकार की भयानक यतानाएं सहनी पड़ती है।
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करीब एक साल तक चलने के बाद आत्मा यमलोक पहुंचती है। यहां पहुंचने के बाद यमराज कर्मों के अनुसार उस आत्मा को नर्क, स्वर्ग या दूसरी योनियों भेजते हैं। इसी स्थान पर यह तय कर लिया जाता है कि आत्मा दूसरा शरीर कब तक धारण करेगा।
हालांकि हर आत्मा इन कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता है। अच्छे कर्म करने वाले आत्माओं को यमलोक की यात्रा नहीं करनी पड़ती है।
ऐसे लोगों के लिए विमान आता है जिसमें बैठकर ये आत्माएं विष्णु लोक चली जाती है। विष्णु लोक में जिन्हें ठहरने की अनुमति मिल जाती है उन्हें दोबारा जन्म ग्रहण नहीं करना पड़ता है।