खुद को बीमार बताकर दूसरों से सहानुभूति लेना इस सिंड्रोम की बड़ी वजह
कई लोगों की अपनी एक अलग ही काल्पनिक दुनिया होती है। उस दुनिया में लोग इतना मशरुफ हो जाते हैं कि वह मान बैठते हैं कि वह बीमार है। दरअसल ऐसा कुछ होता ही नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि वह बीमारी का नाटक कर रहे हैं। बस उनको एक मानसिक रोग हो जाता है जिसे मनचाउजेन के नाम से जाना जाता है। तो चलिए आज इस सिंड्रोम के बारे में जानते हैं।
मनचाउज़ेन सिंड्रोम
यह एक ऐसी मानसिक स्थिति जिसमें लोग मान बैठते हैं कि वह बीमार है। दरअसल यह सिर्फ उनकी सपनों की ही दुनिया होती है जिसमें में वह काफी हद तक घुल जाते हैं। लोग तरह-तरह के बहाने बताके अपने घर वालों से ध्यान और सहानुभूति चाहने लगता है। वह अपने मन से ही बीमारियों के लक्षणों के बारे में बताने लगता है। कई बार लोग इस हद का बीमार मान बैठते हैं कि उनको अपने आस-पास के सभी लोग भी बीमार ही नजर आते हैं।
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लक्षण
रोगी फालतू में ही बीमार महसूस करता है।
बीमारी के लक्षण भी खुद ही बना लेता है।
कुछ भी हो जाए जांच और दवा भी करा लेता है।
रोगी अपने साथ-साथ आस-पास के लोगों को भी बीमार समझने लगता है।
अगर कोई टेस्ट निगेटिव आए तब भी उसे शांति नहीं मिलती है वह बार-बार वहीं टेस्ट दोबारा कराता है।
दूसरों से दया लेने में रोगी को मज़ा आता है।