
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग को लेकर विपक्ष की दीवार दरक गई है. इस पूरे घटनाक्रम से तृणमूल कांग्रेस और डीएमके ने अपने हाथ खींच लिए हैं. अब सभी की नज़रें राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू पर लगी हुई हैं.
मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ नहीं ये पार्टियाँ
जो खबरें निकल कर आई हैं उनके मुताबिक़ इन दलों ने राजनीतिक कारणों के चलते महाभियोग के प्रस्ताव से दूरी बनाई है. पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव है. जिसे देखते हुए टीएमसी अपनी छवि पर बट्टा नहीं लगवाना चाहती.
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इससे पहले तृणमूल कांग्रेस ने मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग लाने का विरोध नहीं किया था. टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने खुद कहा था कि महाभियोग प्रस्ताव पर उनकी पार्टी दूसरे विपक्षी दलों का साथ देगी. हालांकि चुनावी फायदे को देखते हुए पार्टी ने अपना रुख बदल दिया है.
इसके अलावा कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रहे सौमित्र सेन की तरह दीपक मिश्रा के खिलाफ स्पष्ट सबूत नहीं हैं. इस वजह से TMC ने मामले पर सुरक्षित रास्ता अपनाना बेहतर समझा.
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वहीं, डीएमके नेता कनिमोझी ने कहा था कि जब संसद में मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ प्रस्ताव आएगा, तो वो उनकी पार्टी इसका समर्थन करेगी लेकिन अब उनकी पार्टी भी इससे पीछे हट रही है.
शुक्रवार को कांग्रेस की अगुवाई में सात विपक्षी दलों ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू से मुलाकात कर उन्हें मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग लाने का प्रस्ताव सौंपा था. 71 सांसदों के हस्ताक्षरों के साथ ये प्रस्ताव सौंपा गया है. इनमें सात रिटायर हो चुके हैं.