इन बेटियों ने बदला दुनिया का रिवाज, पिता की अर्थी को कंधा देकर किया हर किसी को हैरान

बेटियोंनई दिल्ली। पुरूष प्रदान देश में चली आ रही देश में बेटों को अपना और बेटियों को पराया मानने की प्रथा चली आ रही है। जिसके कारण पिता को मुखाग्नि देने का हक भी बेटो को मिलता है। लेकिन एक शख्स ऐसे थे जिन्होंने अपनी बेटियों को खूब लाड़ दूलार से पाला और बेटों को देने वाले सारे हक अपनी चार बेटियों को दिए।

नोएडा के मशहूर कारोबारी हरी भाई लालवानी की अंतिम इच्छा थी कि जब वह दुनिया को अलविदा कहें तो उनकी अंतिम यात्रा उत्सव के रूप में मनाई जाए। उनके कोई बेटा नहीं है, इसलिए पत्‍‌नी मधु लालवानी सहित चारों बेटियां अनिता लालवानी, दीप्ति लालवानी, रितिका लालवानी, यामिनी लालवानी पिता की अंतिम इच्छा को पूरा किया। हरी भाई लालवानी की अर्थी को उनकी बेटियों ने अपना कंधा देकर पिता की आखिरी इच्छा पूरा करने के साथ ही दूनिया को एक खास संदेश भी दिया।

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हरी भाई की अंतिम उत्सव यात्रा को उनके निवास सेक्टर-40 से निकाल कर पूरे सेक्टर में पहले घुमाया गया। इसके बाद सेक्टर-94 स्थित अंतिम निवास पर ले जाया गया। यहां पर उनके अंतिम उत्सव में शामिल होने के लिए भारी हुजूम जमा था।

बता दें कि दो हफ्ते पहले हरी भाई मुंबई गए थे, जहां उनकी तबियत खराब हो गई थी। हालंकि उस समय उपचार के बाद हरी ठीक हो गए थे। लेकिन आठ नवंबर की सुबह अचानक से फिर उनकी तबियत खराब होने पर फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां पर डॉक्टरों ने दिमाग में ब्लड क्लॉटिंग होने की बात कह कर ऑपेरशन किया।

नौ नवंबर को रात 12 बजे वह दुनिया छोड़ गए। हरी भाई बेटों और बेटियों में कोई अंतर नहीं समझते थे। उनकी बेटियों ने बेटे की तरह फर्ज निभाकर पूरे शहर के सामने एक नई मिसाल कायम की। उन्होंने गम को जश्न में बदलकर दुनिया के सामने एक नया नजारा पेश किया।

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