योगी के दरबार में पहुंचा गायत्री प्रजापति का परिवार, लगाई इंसाफ की गुहार, योगी ने किया इनकार

मां-बेटी से रेपलखनऊ| मां-बेटी से रेप के मामले में जेल में बंद उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता गायत्री प्रजापति का परिवार आज लखनऊ में सीएम योगी के जनता दरबार में पहुंचा है। परिवार ( पत्नी और दोनों बेटियां ) ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाक़ात करने की कोशिश की पर सीएम ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया है। दरअसल, कोर्ट में गायत्री प्रजापति की जमानत भी खारिज हो गई है।

प्रजापति की बेटी का कहना है, ‘हमारे पास उन्हें बेगुनाह साबित करने के सबूत हैं। लड़की ने खुद कहा था कि वह प्रजापति को नहीं जानती थी और उसने FIR भी नहीं दर्ज कराई थी।’ प्रजापति की पत्नी ने कहा कि उनकी मुलाकात एक मंत्री से हुई है जिन्होंने योगी तक बात पहुंचाने का आश्वासन दिया है। महिला के साथ रेप और बच्ची के साथ अश्लील हरकत करने के मामले में पॉक्सो ऐक्ट के तहत गायत्री प्रजापति जेल में थे। उन्हें सेशन कोर्ट से जमानत मिली थी। यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान प्रजापति फरार थे और बाद में उन्हें 15 मार्च को आशियाना लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था।

मां-बेटी से रेप का है आरोप

इससे पहले, लखनऊ कोर्ट ने छेड़छाड़ के एक मामले में समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री और रेप के आरोपी गायत्री प्रसाद प्रजापति को 12 मई तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था। कोर्ट ने यह आदेश गोमतीनगर थाने के एसआई और इस मामले के विवेचक हरिकेश राय की अर्जी पर दिया।

इस अर्जी पर सुनवाई के दौरान आरोपी गायत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जेल से अदालत के समक्ष मौजूद थे। गैंगरेप के अलावा यह तीसरा मामला है, जिसमें गायत्री को न्यायिक हिरासत में लिया गया था। विवेचक का कहना था कि 20 अक्टूबर, 2016 को इस मामले की एफआईआर चित्रकूट की रहने वाली पीड़िता ने दर्ज कराई थी, जिसमें गायत्री व आशीष शुक्ला को नामजद किया था।

प्रजापति को जमानत देने वाले जज सस्पेंड

इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट की प्रशासनिक समिति ने दुष्कर्म के एक मामले में आरोपी गायत्री प्रजाप्रति को जमानत देने वाले न्यायाधीश ओम प्रकाश मिश्रा को निलंबित कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डी. बी. भोंसले ने गायत्री प्रसाद प्रजापति को जमानत दिए जाने न्यायाधीश के आदेश पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए अतिरिक्त जिला और सत्र अदालत के न्यायाधीश की सभी शक्तियां भी छीन लीं।

आपको बता दें कि निलंबित होने वाले न्यायमूर्ति 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त होने वाले थे।

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