एजेंसी/पेट दर्द के कई कारण हो सकते हैं। पेट के भिन्न-भिन्न हिस्से में हो रहा दर्द शरीर में बढ़ रही समस्याओं की ओर इशारा करता है। जानते हैं इसके बारे में।
1- लक्षण
पेट के दाएं हिस्से के मध्य में दर्द।
कारण व समाधान
यह गॉलब्लैडर में स्टोन (गॉलस्टोन) की वजह से हो सकता है जिसमें दर्द धीरे-धीरे पीठ तक पहुंच जाता है। यह समस्या महिला व पुरुष दोनों को प्रभावित करती है। इसके अधिकांश मामले अधिक वजन वाली महिलाओं में पाए जाते हैं जिनकी उम्र 40 वर्ष से अधिक और जिनके दो से अधिक बच्चे हैं। ऐसे में डॉक्टर ऑपरेशन की सलाह देते हैं। लेकिन यदि ऑपरेशन नहीं करवा पा रहें तो जब तक संभव हो तलाभुना व मसालेदार चीजों से परहेज करें। साथ ही दिन में कम से कम 15 गिलास पानी पीएं।
2- लक्षण
पेट के मध्य भाग में दर्द।
कारण व समाधान
यह पेट में अल्सर (पेप्टिक अल्सर) होने का लक्षण है। यह बैक्टीरियल इंफेक्शन या कई बार लगातार पेन किलर दवाएं लेने के कारण होता है। अक्सर खाना खाने के तुरंत बाद या दो घंटे बाद या फिर भूखे रहने पर यह दर्द होता है। ठंडा दूध या ठंडा पानी पीने से इस दर्द में राहत मिलती है। दर्द अधिक बढऩे पर
डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
3- लक्षण
पेट के मध्य भाग से पीठ तक दर्द।
कारण व समाधान
यह लक्षण पेन्क्रिएटाइटिस की ओर इशारा करता है, जिसका कारण अधिक शराब पीना है। कई सालों तक शराब पीने से धीरे-धीरे पेन्क्रियाज (अग्न्याशय) प्रभावित होता है। शुरुआती चरणों में लक्षण सामने नहीं आते लेकिन कुछ सालों के बाद यह दर्द महसूस होता है। ऐसे में एल्कोहल से दूरी बनाएं और शरीर में पानी की कमी न होने दें।
4- लक्षण
पेट दर्द, मल सख्त होने के साथ-साथ पेट का साफ न होना।
कारण व समाधान
यह कब्ज के लक्षण हैं। अधिक तला-भुना, मसालेदार खाना, कोल्डड्रिंक्स, अधिक भोजन लेना और तनाव प्रमुख कारण हैं। पाचन के बाद बचा हुआ बेकार पदार्थ बड़ी आंत की ओर खिसक जाता है। लेकिन पाचन कमजोर होने पर यह पदार्थ सही वक्त पर बड़ी आंत में नहीं पहुंच पाता। नतीजतन सुबह पेट साफ
नहीं होता और ऐसी स्थिति बनती है। दालें-राजमा, साबुत उड़द, पनीर, मक्खन व घी, मीट, अंडा व मछली से बचें। ज्यादा पानी पीएं। दही नियमित खाएं। लहसुन, केला, अमरूद व पपीता खाएं।
5- लक्षण
पेट का ऊपरी हिस्सा फूलने के साथ उसमें अधिक खिंचाव हो रहा है (मरोड़ नहीं)।
कारण व समाधान
यह गैस की समस्या के लक्षण हैं। हड़बड़ी में खानपान व धूम्रपान के दौरान हवा मुंह के माध्यम से अंदर जाती है। इसमें नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और कार्बन डाइर्ऑक्साइड होती हैं। कुछ हवा डकार के जरिए बाहर निकल जाती है, लेकिन कुछ आंत में चली जाती है। यह हवा खिंचाव पैदा करती है जिससे पेट का ऊपरी हिस्सा फूलने लगता है। ऐसी स्थिति में चाय, कॉफी, मिर्च, तलाभुना खाना, खटाई वाली चीजें न लें। पानी खूब पीएं। नमक कम लें। खाने के तुरंत बाद न सोएं।
6- लक्षण
सीने में जलन, मुंह में खट्टा पानी आना।
कारण व समाधान
यह एसिडिटी के लक्षण हैं। पाचनक्रिया के दौरान एसिड स्त्रावित होता है जो पाचन के लिए जरूरी है। कई बार यह एसिड अधिक मात्रा में बनता है, परिणामस्वरूप गले से लेकर सीने व पेट तक के हिस्सों में जलन होती है। ऐसा अक्सर खाली पेट रहने से होता है। चटपटा, तीखा, मसालेदार भोजन न करें। रात में गरिष्ठ व वसायुक्त आहार न लें।
यूं स्वस्थ रहेगा पेट
तली-भुनी चीजें हफ्ते में एक बार से ज्यादा न खाएं।
धूम्रपान भी पाचनतंत्र को प्रभावित करता है।
अधिक मसालेदार, खट्टे फल, चॉकलेट, पुदीना, टमाटर, सॉस, अचार, चटनी, सिरका से दूरी बनाएं।
जंक फूड व स्ट्रीट फूड से बचें।
अत्यधिक कॉफी, चाय और अल्कोहल से बचें। ये शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड गैस बनाते हैं।
शरीर में पानी की कमी न होने दें।
तथ्य ये हैं
20 फीसदी लोग (पेटदर्द पीडि़तों में) बदहजमी, एसिडिटी के शिकार होते हैं।
खाने की बाइट छोटी होनी चाहिए, इसे चबा-चबाकर खाएं।
3-5 बार हफ्ते में व्यायाम करना पेट के लिए फायदेमंद है।
खाना खाने के तुरंत बाद सोए नहीं और न ही इसके बाद व्यायाम करें।