सैकड़ो कर्मचारीयों को वेतन न मिलने से आपातकालीन सेवा 108 हुई बाधित

कर्मचारीयोंदेहरादून उत्तराखंड में आपातकालीन सेवा 108 के करीब 700 कर्मचारीयों को तीन महिने से वेतन न मिलने से उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे कर्मचारीयों पर ही नहीं बल्कि 108 की सेवा पर भी असर पड़ रहा है। 108 की सेवा बी पूरी तरह से प्राभावित हो रही है। जिससे कई जगहों पर एंबुलेंस न मिलने से मरीजों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

उत्तराखंड में 108 का संचालन जीवीके ईएमआरआइ कंपनी करती है। यह एक गैर लाभकारी संस्था है और नियमानुसार इसका टीडीएस नहीं कटता। जबकि गत वर्षों में इस संस्था का टीडीएस कटता रहा है। ऐसे में विभाग ने संस्था को आयकर विभाग से पिछले 10 साल का लगभग 12 करोड़ रुपये का टीडीएस प्राप्त करने के लिए कहा है। कंपनी का 2008 में राज्य सरकार के साथ अनुबंध हुआ था और अगले साल मार्च 2018 में यह समाप्त हो रहा है।

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विभाग यह मान रहा है कि इसके बाद टीडीएस निधि का उपयोग राज्य हित में नहीं हो पाएगा। ऐसे में नया भुगतान रोक दिया गया है। 108 एंबुलेंस के एक ड्राइवर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उनकी चिंता ये नहीं कि किसने किसको भुगतान करना है बल्कि वह बच्चों की फीस व मासिक खर्च को लेकर परेशान हैं। अगर इस माह के अंत तक भुगतान नहीं होता है, तो वह नौकरी छोड़ देंगे। यह स्थिति आई तो आपातकालीन सेवा आपात स्थिति में आ जाएगी।

108 के स्टेट हेड मनीष टिंकु ने कहा कि बजट के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। कर्मचारियों का वेतन हमारी प्राथमिकता में है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार भी अगले सप्ताह तक कुछ पैसा जारी कर सकती है। जिससे बड़ी राहत मिलेगी। वहीं, स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस  रावत के अनुसार एंबुलेंस के रखरखाव आदि को कुछ रकम जारी की जा रही है। 108 सेवा का भुगतान नहीं रोका गया है, बल्कि उन्हें अतिरिक्त भुगतान हुआ है। यह रकम आयकर विभाग से लेने को कहा गया है।

बहरहाल इस बीच छह करोड़ रुपये जारी किए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार जीवीके के हैदराबाद स्थित मुख्यालय से ईंधन आदि के लिए धन लिया गया है, लेकिन कर्मचारियों के वेतन पर अड़ंगा लगा है। जिस पर हर माह करीब 1.5 करोड़ रुपये का खर्च है।

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