56 देशों का विरोध दरकिनार, पीएम मोदी अब पाकिस्तान के ‘दिल’ पर करेंगे वार

56 देशों का विरोधनई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने उरी हमले के बाद 56 देशों का विरोध दरकिनार करते हुए पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक के आदेश दिए थे। अब वह सीधे पाकिस्तान के ‘दिल’ पर वार करेंगे। इस बार भी जगह और समय भारत ने ही तय किया है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश मामले के सलाहकार सरताज अजीज ने यह पुष्टि की है कि भारत में होने वाले ‘हार्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन में पाकिस्तान शिरकत करेगा।

‘हार्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन दिसंबर के पहले सप्ताह में भारत के अमृतसर में आयोजित होगा। माना जा रहा है कि इस सम्मेलन में भी पीएम नरेंद्र मोदी पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर घेरेंगे।

इससे पहले सार्क सम्मेलन में प्रधानमंत्री की कोशिशों के कारण पाकिस्तान को किनारे कर दिया गया था।

हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन पर अजीज ने कहा, “हमने कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्णय को लेकर एक प्रभावी अभियान शुरू किया है।” उन्होंने आरोप लगाया कि कश्‍मीर में भारतीय सेना के सख्‍त रुख पर 56 देशों का विरोध पीएम मोदी ने दरकिनार कर दिया था। इतना ही नहीं, भारत के कारण पाकिस्तान को सार्क सम्मेलन में भी जगह नहीं मिली।

जम्मू एवं कश्मीर के उरी में एक सैन्य शिविर पर हमले कर 19 जवानों के प्राण लिए जाने से दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच यह घोषणा की गई।

डेली पाकिस्तान के अनुसार, रूस, चीन और तुर्की समेत 14 सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के एक दिवसीय सम्मेलन में भाग लेने की संभावना है। सम्मेलन में अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति और युद्धग्रस्त देश में दीर्घकालीन शांति और स्थिरता की बहाली के लिए अफगानिस्तान के निकट और विस्तृत पड़ोसियों द्वारा की जा सकने वाली पहलों पर चर्चा की जाएगी।

इसके अलावा अमेरिका समेत 17 समर्थक देशों के वरिष्ठ अधिकारी सम्मेलन में भाग लेंगे। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त रूप से सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे।

हार्ट ऑफ एशिया-इस्तांबुल प्रक्रिया की स्थापना आफगानिस्तान और तुर्की की पहल पर साल 2011 में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग और कनेक्टीविटी के लिए प्रयासों को बढ़ावा देना है, ताकि अफगानिस्तान और क्षेत्र में दीर्घकालीन शांति और स्थिरता के साथ-साथ प्रगति और विकास को बढ़ावा मिले।

गत साल दिसंबर में पाकिस्तान ने मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की मेजबानी की थी, जिसमें भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भाग लिया था।

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