‘मिल्कमैन’ के लिए अन्ना बर्न्स को मिला 50वां बुकर

लंदन| उत्तरी आयरलैंड की लेखिका अन्ना बर्न्स को उनकी कृति ‘मिल्कमैन’ के लिए वर्ष 2018 का मैन बुकर प्राइज मिला है। उन्हें पुरस्कार के रूप में 50,000 पौंड की राशि प्रदान की गई है। मिल्कमैन एक उपन्यास है, जिसकी कहानी एक प्रभावशाली आदमी द्वारा एक युवती का यौन उत्पीड़न किए जाने की घटना पर आधारित है।

Anna-Burns-Milkman

56 वर्षीय बर्न्स उत्तरी आयरलैंड की पहली बुकरमैन प्राइज विजेता हैं। गिल्डहॉल में मंगलवार को आयोजित एक समारोह के दौरान उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया गया।

वर्ष 2012 के बाद बुकर पुरस्कार प्राप्त करने वाली वह पहली महिला लेखिका हैं। ‘ब्रिंग अप द बॉडीज’ के लिए हिलैरी मैनटेल ने 2012 में यह पुरस्कार प्राप्त किया था।

बुकर के निर्णायकों के अध्यक्ष व दार्शनिक क्वामे एंथनी अप्पिया ने कहा, “यह उपन्यास अत्यंत मौलिक रचना है।”

‘मिल्कमैन’ की कहानी 18 साल की एक बेनाम युवती सुनाती है, जिसे कहानी में मिडल सिस्टर कहा गया है। उम्र में उससे काफी ज्यादा अर्धसैनिक, मिल्कमैन, उसका पीछा करता है।

पुरस्कार की घोषणा करते हुए अप्पिया ने कहा, “हममें से किसी ने पहले ऐसी कोई रचना नहीं पढ़ी।”

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बर्न्स ने अमेरिका के कद्दावर साहित्यकार रिचर्ड पावर्स, कनाडाई एसी एड्यूग्यैन और डेजी जॉनसन को पीछे छोड़ यह पुरस्कार जीता है।

कहानी में मिडल सिस्टर की अनिच्छा के बावजूद जब मिल्कमैन उस पर डोरे डालने की कोशिश करता है तो अफवाह फैल जाती है कि मिल्कमैन के साथ उसका संबंध है।

यह उपन्यास मौजूदा दौर की चिंताओं को भी बयान करता है। अप्पिया ने कहा, “मेरा मानना है कि इस उपन्यास से लोगों को ‘मीटू’ के बारे में विचार करने में भी मदद मिलेगी। यह इसलिए भी सराहनीय है कि इसमें हमें मीटू को लेकर गहरी, सूक्ष्म और नैतिक व बौद्धिक रूप से चुनौतीपूर्ण तस्वीर मिलती है।”

बुकर पुरस्कार के 50वें संस्करण के लिए बनी सूची में किसी भी भारतीय लेखक का नाम नहीं था।

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