
केंद्र सरकार द्वारा लागू नए कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसान लगातार अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। वहीं सरकार से नाराज किसानों ने साफ कहा कि जब तक वे हैं तब तक देश में रोटी को तिजोरी की वस्तु नहीं बनने देंगे और न ही देश में भूख का कारोबार हो सकेगा। किसान नेताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार किसान विरोधी और कॉरपोरेट के हक में है। अपने दावे को सही साबित करने के लिए उन्होंने कहा कि इस से साफ हो जाता है कि पहले सरकार ने देश में बड़े गोदान बनाए और बाद में कानून लागू किए।

यदि बात करें संयुक्त किसान मोर्चा कि तो उसके अनुसार सरकार ने संसद में जवाब दिया कि किसान आंदोलन के दौरान मृतकों को सहायता देने पर विचार नहीं किया जा रहा है। साथ ही कहा कि जब बीते दिन संसद में किसानों को श्रद्धांजलि दी जा रही थी, भाजपा और सहयोगी दलों के सासंदों ने असंवेदनशीलता दिखाई।

किसान मोर्चा ने निंदा करते हुए कहा कि देश में अब तक करीब 230 किसान अपनी जान दे चुके हैं। इस पर मोर्चा ने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि आपको और कितने किसानों का बलिदान चाहिए? आपको बता दें कि आज यानी 13 फरवरी को कर्नाटक राज्य रैता संघ के संस्थापक और अग्रणी किसान नेता प्रो नंजुंदस्वामी की जयंती पर संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रगतिशील और न्यायसंगत समाज की प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाने की बात कही।