2007 बदायूं केस: राजनीतिक रंजिश और सरेआम हत्या, परिवार ने कहा ‘न्याय हुआ’, 14 को उम्रकैद
बदायूं जिले की एक अदालत द्वारा गुरुवार को अपने पति पान सिंह की हत्या के जुर्म में एक ही परिवार के 14 सदस्यों (सभी पुरुष) को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद सौद्रा यादव (40) ने राहत की सांस ली।
15 फरवरी, 2007 को सहसवान उप-मंडल के खरखोल गांव में किसान पान सिंह (30) को कथित तौर पर कई लोगों ने उसके घर से घसीटकर लगभग आधा किलोमीटर दूर एक मंदिर में ले गए और फिर सार्वजनिक रूप से कुल्हाड़ी से काटकर उसकी हत्या कर दी। हत्या के पीछे मुख्य कारण पान सिंह के परिवार और साधु सिंह के बीच गांव के प्रधान के चुनाव को लेकर राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता थी। पान की हत्या साधु के चचेरे भाई राधेश्याम की हत्या के प्रतिशोध में की गई थी, जिसकी आठ दिन पहले गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी। राधेश्याम की हत्या के मामले में पान के परिवार के छह सदस्यों पर मामला दर्ज किया गया था। बाद में सभी छह आरोपियों को बरी कर दिया गया।
गांव में ओबीसी समुदाय से पान और साधु सिंह के घर लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर हैं। मंगलवार (23 जुलाई) को अदालत ने 14 लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 396 (हत्या के साथ डकैती) और 412 (डकैती के दौरान चोरी की गई संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना) के तहत दोषी ठहराया। जमानत पर बाहर आए दोषियों को हिरासत में लेकर जिला जेल भेज दिया गया।
विशेष सरकारी वकील राजेश बाबू शर्मा ने बताया, “छह लोगों पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया, जबकि अन्य आठ लोगों पर 30,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। जिन छह लोगों पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया, उन्हें आईपीसी की धारा 396 और 412 के तहत दोषी ठहराया गया, जबकि आठ लोगों को केवल धारा 396 के तहत दोषी ठहराया गया।”
उन्होंने बताया कि अदालत ने मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के नौ गवाहों और बचाव पक्ष के पांच गवाहों से पूछताछ की। साधु सिंह के भतीजे राज कुमार ने कहा, “हम इलाहाबाद उच्च न्यायालय में फैसले के खिलाफ अपील दायर करेंगे। नौ दोषी हमारे परिवार से हैं, जबकि पांच हमारे रिश्तेदार हैं।” राज कुमार के चाचा राम सिंह (68) दोषियों में सबसे बड़े हैं और उनके (राज कुमार) चाचा विनीत सिंह (40) सबसे छोटे हैं।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 15 फरवरी 2007 को हथियार और धारदार औजारों से लैस आरोपी पान सिंह के घर में जबरन घुस आए और घर का सामान तोड़ दिया तथा मौजूद सभी लोगों की पिटाई की। उस समय घर में पान और उनके पिता हरपाल सिंह ही एकमात्र पुरुष सदस्य थे। अभियोजन पक्ष ने कहा कि आरोपियों ने पान को पकड़ लिया और उसकी बेरहमी से पिटाई करने के बाद उसे गांव के मंदिर में खींचकर ले गए, जहां उसकी हत्या कर दी गई। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों ने घटना को देखा, लेकिन उन्होंने हस्तक्षेप नहीं किया।
हरपाल सिंह ने जरीफ नगर थाने में 12 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया और जांच के दौरान पुलिस को चार और लोगों की संलिप्तता का पता चला। जांच पूरी करने के बाद पुलिस ने 16 लोगों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। ट्रायल के दौरान दो आरोपियों की मौत हो गई।
पान सिंह के भतीजे अमर पाल सिंह ने कहा, “यह एक लंबी लड़ाई थी जिसे हमने आखिरकार जीत लिया। हरपाल सिंह ने अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए 17 साल तक केस लड़ा।”