
देश 15 अगस्त पर अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस (Independence day) मना रहा है। 15 अगस्त 1947 को हमें ब्रिटिश शासन के 200 सालों के राज से आजादी मिली थी। आज जिस खुली हवा में हम सांस ले रहे हैं, यह सब उन सेनानियों की बदौलत हैं, जिन्होंने आजादी के लिए अपने प्राण तक देश के लिए न्योछावर कर दिए। यह दिन हमें महात्मा गांधी, भगत सिंह, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद समेत सैंकड़ों महान स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग, तपस्या और बलिदान की याद दिलाता है। हर वर्ष आजादी की सालगिरह पर स्कूलों, कॉलेजों, दफ्तरों आदि में कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है जहां देशभक्ति के गीत बजाए जाते हैं और लोग भाषण देते हैं। साथ ही हमारी फिल्मों में भी देशभक्ति से जुड़े ऐसे कई डायलॉग्स है, जिनको ना सिर्फ दर्शकों ने बेहद पसंद किया, बल्कि उन डायलॉग्स को सुनकर भारतीयों में देशभक्ति जगा देता हैं। तो 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जानिए हिंदी फिल्मों में बोले गए देशभक्ति से भरे 15 डायलॉग..

- फिल्म ‘शेरशाह’: एक फौजी के रुतबे से बड़ा कोई और रुतबा नहीं होता। वर्दी की शान से बड़ी कोई और शान नहीं होती। अपने देश से बड़ा कोई धर्म नहीं होता।
- फिल्म ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’: ये हिंदुस्तान अब चुप नहीं बैठेगा, ये नया हिंदुस्तान है। ये घर में घुसेगा भी, और मारेगा भी।
- फिल्म ‘मां तुझे सलाम’: तुम दूध मांगोगे हम खीर देंगे, तुम कश्मीर मांगोगे हम चीर देंगे।
- फिल्म ‘रंग दे बसंती’: अब भी जिसका खून ना खौला, खून नहीं वो पानी है। जो देश के काम ना आए, वो बेकार जवानी है।
- फिल्म ‘मंगल पांडे’: ये आजादी की लड़ाई है, गुजरे हुए कल से आजादी, आने वाले कल के लिए।
- फिल्म ‘बेबी’: रिलीजन वाले कॉलम में हम बोल्ड और कैपिटल में इंडियन लिखते हैं।
- फिल्म ‘सरफरोश’: मैं अपने मुल्क को अपनी मां मानता हूं और अपनी मां को बचाने के लिए मुझे किसी की जरूरत नहीं।
- फिल्म ‘बॉर्डर’: हम किसी दूसरे की धरती पर नजर भी नहीं डालते, लेकिन इतने नालायक बच्चे भी नहीं हैं कि कोई हमारी धरती मां पर नजर डाले और हम चुप-चाप देखते रहें।
- फिल्म ‘चक दे इंडिया’: मुझे स्टेट्स के नाम न सुनाई देते हैं न दिखाई देते हैं। सिर्फ एक मुल्क का नाम सुनाई देता हैं.. इंडिया।
- फिल्म ‘गदर- एक प्रेम कथा’: हिंदुस्तान जिंदाबाद था, जिंदाबाद है और जिंदाबाद रहेगा।
- फिल्म ‘हॉलीडे’: तुम लोग यहां परिवार के साथ चैन से जियो, इसलिए हम लोग रोज बॉर्डर पर मरते हैं।
- फिल्म ‘शौर्य’: बॉर्डर पर मरने से ज्यादा बड़ा नशा कोई नहीं है।
- फिल्म ’23 मार्च 1931′: शहीद इंकलाब के लिए कुर्बानियों की जरूरत होती है। खून की जरूरत होती है।
- फिल्म ‘जय हो’: एक सच्चे देश भक्त को हम फौज से निकाल सकते हैं, लेकिन उसके दिल से देश भक्ति नहीं।
- फिल्म ‘लक्ष्य’: हम में और उनमें कुछ फर्क है और ये फर्क रहना चाहिए। ये इंडियन आर्मी है। हम दुश्मनी में भी शराफत रखते हैं।
- फिल्म ‘द लीजेंड ऑफ भगत सिंह’: आप नमक का हक अदा करो, मैं मिट्टी का हक अदा करता हूं।
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