ठीक चार दिन बाद रात में भी रौशन होगा आसमान

12 अगस्तनई दिल्ली। विज्ञान ने बहुत उन्नति कर ली है। इस क्षेत्र में हर दिन कोई न कोई आविष्कार और शोध होते रहते हैं। लेकिन अभी भी इस ब्रह्मांड में बहुत सारी चीजें ऐसी हैं जिसकी गुत्थी अनसुलझी है। वो आज भी वैज्ञानिकों के लिए अबूझ पहेली बने हुए हैं। कुछ ऐसी ही एक रहस्यमयी घटना 11-12 अगस्त की आधी रात होने जा रही है।

12 अगस्त की रात होगा ‘चमत्कार’!

खगोलविदों के मुताबिक, उस रात आसमान से धरती पर उल्का पिंडों की बारिश जैसी खगोलीय घटना होगी। हालांकि, ऐसी घटना हरेक साल जुलाई से अगस्त के बीच होती है लेकिन इस बार उल्का पिंड भारी संख्या में गिरेंगे। इसलिए कहा जा रहा है कि 11-12 अगस्त की रात आसमान में अंधेरा नहीं बल्कि उजाला होगा।

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ऐस्ट्रोनोमी-फिजिक्स डॉट कॉम की एक वायरल स्टोरी के मुताबिक, इस साल होने वाली उल्का पिंडों की बारिश इतिहास के उल्का पिंडों की बारिश से सबसे ज्यादा चमकीली और रोशनी वाली होगी। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी इसकी पुष्टि की है।

नासा डॉट गॉव की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल गिरने वाले उल्का पिंड की मात्रा पहले के मुकाबले ज्यादा होगी। नासा के मुताबिक इस साल 11-12 अगस्त की मध्यरात्रि में प्रति घंटे 200 उल्का पिंड गिर सकते हैं। नासा के मुताबिक उत्तरी गोलार्द्ध में इसे अच्छे तरीके से देखा जा सकता है।

गौरतलब है कि खगोल विज्ञान में आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर तेजी से पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का (meteor) कहते हैं। साधारण बोलचाल की भाषा में इसे ‘टूटते हुए तारे’ अथवा ‘लूका’ कहते हैं।

उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुंचता है उसे उल्कापिंड (meteorite) कहते हैं। अक्सर हरेक रात में अनगिनत संख्या में उल्काएं आसमान में देखी जा सकती हैं लेकिन इनमें से पृथ्वी पर जो पिंड गिरते हैं उनकी संख्या कम होती है।

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