जानें मानसून में किन कारणों से बढ़ जाता है ‘हेपेटाइटिस’ का खतरा

हेपेटाइटिस ई गर्भवती महिलाओं के लिए ज्यादा घातक होता है। हेपेटाइटिस ए से बचाव के लिए टीका भी उपलब्ध है। इसी तरह हेपेटाइटिस डी का खतरा उन मरीजों को ज्यादा रहता है, जिन्हें पहले से हेपेटाइटिस बी का संक्रमण हो। कहते है लिवर शरीर के लिए मेटाबॉलिज्म एकत्रित करने, भोजन को पचाने, रक्त का शुद्धिकरण करने, चर्बी व प्रोटीन को पचाने का काम करता है। लेकिन जब लिवर में गड़बड़ी आ जाती है तो हेपेटाइटिस रोग हो जाता है। इस रोग के कारणों में वायरस या इंफेक्शन प्रमुख हैं।

जानें मानसून में किन कारणों से बढ़ जाता है 'हेपेटाइटिस' का खतरा

वायरस में हेपेटाइटिस ए और बी होते हैं। हेपेटाइटिस ए को ‘इंफेक्टिव हेपेटाइटिस’ कहते हैं। यह रोग दूषित पानी, खानपान और इसके रोगी के संपर्क में आने से फैलता है।

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हेपेटाइटिस बी को ‘वायरल हेपेटाइटिस’ भी कहते हैं। लार, रक्त व शरीर के स्रावों के जरिए जब यह वायरस रक्त में प्रवेश कर जाता है तो हेपेटाइटिस हो जाता है। इसमें हेपेटाइटिस-ई और ए सबसे गंभीर संक्रमण हैं। इसमें लिवर की क्रिया पर बुरा असर पड़ता है जिससे उबरना आसान नहीं होता है।

मानसून में अक्सर लोगों को बुखार, सर्दी और खांसी जैसे संक्रमण की समस्या हो जाती है। लोगों को इस मौसम में हेपेटाइटिस-ई और ए जैसे गंभीर संक्रमण का खतरा भी हो सकता है। इससे लिवर से संबंधित एक गंभीर बीमारी है। दूषित पानी पीने से इसके अलावा दूषित भोजन व संक्रमित जानवरों का मांस खाने से भी हेपेटाइटिस- ई व ए हो सकता है।

हेपेटाइटिस-ई व ए के लक्षण आसानी से दिखाई नहीं देते है। वायरस के संपर्क में आने के 2 से 7 सप्ताह के बाद ही कोई लक्षण दिखाई देता है। लक्षण आमतौर पर बाद के 2 महीनों में दिखाई देते हैं।

  • मतली और उल्टी
  • अत्यधिक थकान
  • पेट में दर्द होना
  • लिवर का बढ़ना
  • भूख में कमी
  • जोड़ों का दर्द
  • बुखार
  • त्वचा और आंखों का पीला पड़ना

जनवरी 2015 से जून 2018 हुए शोध के मुताबिक, 10 लाख नमूनों में पानी से फैलने वाला हेपेटाइटिस ई वायरस के मामले देश में सबसे आम प्रकार हैं।

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केजीएमयू में गेस्ट्रोइंट्रॉलजिस्ट डॉ. अभिजीत चंद्रा के मुताबिक, दूषित भोजन व पानी पीने से हेपेटाइटिस-ई और ए होने की आशंका बढ़ जाती है, इसलिए स्ट्रीट फूड खाने से परहेज करें और पानी उबालकर ही पिएं।

संक्रमण से बचने के उपाय स्वच्छता पर दें ध्यान घर हो, बाहर हो या निजी स्तर पर, सब जब सफाई पर ध्यान रखना चाहिए। इन सब आदतों से आप इस संक्रमण से बच सकते हैं। स्वच्छ आदतों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। शौच के बाद, भोजन तैयार करने और खाना खाने से पहले हैंड वाश अवश्य करें।

साफ-सुथरा भोजन करें गंदे भोजन और सब्जियां खाने से बचें, बिना पके फलों या सब्जियों के सलाद और जूस बनाते समय सावधानी बरतनी चाहिए। स्ट्रीट वेंडर्स से खाना खरीदने से बचें और पहले से कटे हुए या जिन्हें गंदे पानी में धोया गया हो वैसे फलों को कभी नहीं खाना चाहिए।

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स्वच्छ पानी पीएं हमेशा शुद्ध या उबल हुआ पानी पीना चाहिए। पानी उबालने से इसमें मौजूद सारे बेक्टीरिया मर जाते हैं, गंदगी दूर हो जाती है। शराब पीने से बचें। यह लिवर की समस्याओं को गंभीर कर सकती हैं। डिहाइड्रेशन से बचने के लिए खूब सारे पानी का सेवन करें। फलों का रस और सूप अन्य अच्छा विकल्प है।

खुले में शौच खुले में शौच को कभी न करें क्योंकि इससे जल का स्त्रोत प्रभावित होता है। अगर इन आदतों को प्रोत्साहित किया जाय तो इससे फेकल-ओरल मार्ग से फैलने वाली बीमारियों से बचाव में भी मदद मिलेगी। शौच के बाद अपने हाथ साबुन से धो लें।

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