
शिमला| हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर राज्य सरकार को परेशान तथा अस्थिर करने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) तथा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ किया जा रहा है।
अपने खिलाफ की गई कार्रवाई को ‘सुनियोजित साजिश’ करार देते हुए उन्होंने कहा कि ईडी तथ्य छिपा रहा है और मुद्दे को सनसनीखेज बनाने के लिए जब्त की गई संपत्ति के मनगढं़त आंकड़े पेश कर रहा है।
सिंह ने एक बयान में कहा, “केंद्र सरकार अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल विधिवत रूप से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने के लिए करता रहा है और ईडी तथा सीबीआई का इस्तेमाल फर्जी आरोपों की जांच करने के लिए किया जाता रहा है, जबकि अब तक कुछ भी सामने नहीं आया है।”
ईडी ने धनशोधन के एक मामले में सोमवार को दिल्ली स्थित सिंह की 27.29 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की।
प्रवर्तन निदेशालय का यह कदम केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा सिंह तथा अन्य के खिलाफ कथित तौर पर अवैध रूप से 6.03 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित करने को लेकर आरोप-पत्र दाखिल किए जाने के बाद उठाया गया है।
सीबीआई द्वारा वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा, जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के एजेंट आनंद चौहान तथा उनके सहयोगी चुन्नी लाल व अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ 23 सितंबर, 2015 को प्राथमिकी दर्ज करने के बाद ईडी ने पीएमएलए के तहत 2015 में एक आपराधिक मामला दर्ज किया था।
प्राथमिक जांच में पाया गया कि साल 2009 से 2012 के बीच केंद्रीय मंत्री रहते हुए वीरभद्र सिंह ने कथित तौर पर 6.03 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की, जो उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक थी। इसके बाद मुख्यमंत्री के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस फॉर्म हाउस पर सवाल उठाए जा रहे हैं उसे एमएस मेपल कंपनी ने मात्र 1.20 करोड़ रुपये में खरीदा था। मुख्यमंत्री के बेटे इस कंपनी के प्रमोटर हैं।