सूरज हुआ “मद्वम”,वैज्ञानिक जूटे रहस्य की खोज में…

कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए दुनिया के कई देशों में लागू लॉकडाउन के चलते पर्यावरण में अलग-अलग तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं। हाल ही में ऐसी कई रिपोर्ट सामने आईं, जिनमें बताया गया है कि लॉकडाउन के कारण वायुमंडल और नदियों के जल की गुणवत्ता काफी हद तक सुधरी है। हालांकि विशेषज्ञों की राय इससे बिल्कुल अलग है और उनका कहना है कि लॉकडाउन से पर्यावरण में सुधार नहीं हुआ, बल्कि ये सब बहुत ही अस्थाई है। पर्यावरण में बदलाव के इन्हीं कयासों के बीच सूर्य की चमक को लेकर वैज्ञानिकों की एक बेहद चौंकाने वाली रिसर्च सामने आई है।

 

जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि धरती को ऊर्जा देने वाला सूरज अब कम चमक रहा है। पहले की अपेक्षा इसकी रोशनी में कमी आई है। आकाशगंगा में मौजूद अन्य तारों की तुलना में सूरज कमजोर पड़ गया है। बता दें कि सूरज और उसके जैसे अन्य तारों का अध्ययन उनकी उम्र, चमक और रोटेशन के आधार पर किया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले 9000 सालों से इसकी चमक में 5 गुना कमी आई है। हालांकि वैज्ञानिक इसके पीछे की वजह तलाशने में लग गए हैं।

वैज्ञानिकों का दावा है कि हजारों सालों से सूरज लगातार कमजोर होते जा रहा है। दिन-प्रतिदिन सूरज की चमक-धमक फीकी पड़ती जा रही है। इस बात का खुलासा उन्होंने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के केपलर स्पेस टेलीस्कोप से मिले आकंड़ों का अध्ययन कर किया है।

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सूरज पिछले कुछ हजार साल से शांत है। इस चीज की गणना सूर्य के सतह पर बनने वाले सोलर स्पॉट से किया जाता है। मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक इस बात से हैरान हैं कि हमारे आकाशगंगा में सूरज से भी ज्यादा सक्रिय तारे मौजूद हैं।

सन 1610 से लगातार सूरज पर बनने वाले सोलर स्पॉट कम होते जा रहे हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले साल ही करीब 246 दिन तक सूरज पर एक भी स्पॉट बनते नहीं देखा गया। सूरज के केंद्र से जब गर्मी की तेज लहर ऊपर उठती है तो सोलर स्पॉट बनते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि सरल भाषा में हम ये कह सकते हैं कि सूरज थक गया हो और एक छोटी सी नींद ले रहा हो।

सूरज के केंद्र में अगर आग का विस्फोट नहीं हो रहा हो और सोलर स्पॉट नहीं बन रहे हैं तो इसका मतलब ये है कि सूरज अन्य तारों की तुलना में जरूर कमजोर हुआ है। उसकी चमक धीमी पड़ गई है और रोशनी में कमी आई है।

 

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